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PM Modi की चीन यात्रा: शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की संभावना

Vinay
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PM Modi की चीन यात्रा: शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की संभावना

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सात साल बाद अपनी पहली आधिकारिक चीन यात्रा पर तियानजिन जा रहे हैं, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस दौरान उनके और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता की संभावना है।

यह जानकारी चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने हाल ही में नई दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान दी। वांग यी ने राष्ट्रपति शी की ओर से एससीओ शिखर सम्मेलन का निमंत्रण सौंपा, जिसे पीएम मोदी ने स्वीकार कर लिया। यह मुलाकात भारत-चीन संबंधों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है

पिछले साल अक्टूबर में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत में प्रगति हुई।

इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख में 2020 के सीमा विवाद के बाद उत्पन्न तनाव को कम करने के लिए सैन्य वापसी और गश्ती व्यवस्था पर सहमति जताई थी। पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता दोनों देशों के संबंधों की आधारशिला होनी चाहिए।

वांग यी ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल और विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात की। इन चर्चाओं में सीमा विवाद के समाधान और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया गया। डोवल ने कहा कि कजान में नेताओं की मुलाकात के बाद सीमा पर शांति और स्थिरता में सुधार हुआ है। वांग यी ने भी माना कि पिछले कुछ वर्षों के झटकों ने दोनों देशों के हितों को नुकसान पहुंचाया, और अब स्थिरता की ओर बढ़ने का समय है।

यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिका ने भारत पर रूसी तेल आयात को लेकर भारी शुल्क लगाया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-चीन संबंधों में सुधार की प्रक्रिया 2017 के डोकलाम और 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से चली आ रही कूटनीतिक कोशिशों का परिणाम है, न कि अमेरिकी शुल्कों की प्रतिक्रिया।

दोनों देशों ने सीमा व्यापार फिर से शुरू करने, सीधी उड़ानें बहाल करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा को बढ़ावा देने जैसे कदमों की घोषणा की है।

पीएम मोदी ने हाल ही में लेक्स फ्रिडमैन पॉडकास्ट में कहा, “भारत और चीन के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन हमें इन्हें विवाद में नहीं बदलने देना चाहिए। संवाद के जरिए ही स्थिर और सहकारी संबंध बनाए जा सकते हैं।” यह यात्रा भारत-चीन संबंधों को नई दिशा देने और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।

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