Bihar : गया पुलिस की गुंडागर्दी, वाहन चेकिंग के नाम पर आर्मी जवान की पिटाई

By Anuj Kumar | Updated: May 14, 2025 • 1:01 PM

बहेरा थाना क्षेत्र में वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस ने उनकी बाइक को रोका। हेलमेट न पहनने पर पुलिस ने फाइन की बात कही, जिसे मनोज ने स्वीकार कर लिया। लेकिन इसी बीच एक पुलिसकर्मी ने अपशब्द कहे, जिसका जवान मनोज कुमार ने विरोध किया।

गया । बिहार के गया जिले में पुलिस की बर्बरता का एक और शर्मनाक मामला सामने आया है। बहेरा थाना क्षेत्र में वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस ने आर्मी जवान मनोज कुमार को लाठी और प्लास्टिक पाइप से पीट दिया। जवान का आरोप है कि अपशब्द का विरोध करने पर पुलिसकर्मियों ने उसकी बेरहमी से पिटाई की और फिर उसकी कमर में गमछा बांधकर उसे थाने ले गए। सोमवार शाम को आर्मी जवान मनोज कुमार झारखंड से मजदूरों को छोड़कर अपने गांव पाठक बिगहा लौट रहे थे। बहेरा थाना क्षेत्र में वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस ने उनकी बाइक को रोका। हेलमेट न पहनने पर पुलिस ने फाइन की बात कही, जिसे मनोज ने स्वीकार कर लिया। लेकिन इसी बीच एक पुलिसकर्मी ने अपशब्द कहे, जिसका जवान मनोज कुमार ने विरोध किया। जवान का विरोध सुनते ही पुलिसकर्मियों का गुस्सा भड़क गया।

पुलिस की इस बर्बरता की शिकायत की

मनोज के अनुसार, पुलिसकर्मियों ने लाठी और प्लास्टिक पाइप से उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी। जवान को घायल अवस्था में ही थाने ले जाया गया, जहां उसकी कमर में गमछा बांध दिया गया। थाने में पुलिस ने जवान मनोज कुमार से जबरन एक कागज पर सकुशल हूं लिखवाया और रात 10 बजे उसे छोड़ दिया। मनोज ने बताया कि इस पूरी घटना से वह मानसिक और शारीरिक रूप से बेहद आहत हैं। घटना के बाद मनोज कुमार ने शेरघाटी डीएसपी संजीत कुमार प्रभात से मुलाकात कर पुलिस की इस बर्बरता की शिकायत की। इसके अलावा उन्होंने अपने आर्मी हेडक्वार्टर को भी पूरे मामले की जानकारी दी है। पिटाई से घायल जवान मनोज कुमार ने रात में एक प्राइवेट क्लिनिक में इलाज कराया और अगले दिन डोभी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दोबारा इलाज करवाया। उनके शरीर पर लाठी और पाइप के निशान साफ दिखाई दे रहे हैं। यह घटना न केवल पुलिस की बर्बरता को उजागर करती है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि जो जवान सरहद पर हमारी सुरक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगाते हैं, उनके साथ इस तरह का व्यवहार क्यों किया जा रहा है? बिहार में पुलिस की बर्बरता की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन एक आर्मी जवान के साथ इस तरह का व्यवहार निश्चित रूप से चिंता का विषय है।

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