सत्तारूढ़ पार्टी की नाकामी पर भी साधा निशाना
हैदराबाद। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव (केटीआर) ने कांग्रेस सरकार (Congress Govt.) पर राज्य की सिंचाई ज़रूरतों, खासकर कालेश्वरम परियोजना के ज़रिए पानी उठाने में विफलता, को लेकर आपराधिक लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने तेलंगाना में सूखे जैसे हालात और नहरों में पानी की कमी से निपटने में सत्तारूढ़ पार्टी की नाकामी पर भी निशाना साधा। बीआरएस (BRS) और कांग्रेस शासन के बीच तीव्र अंतर की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि बीआरएस के दस साल के शासन में फल-फूल रही कृषि एक बार फिर संकट में है।
पानी की जगह किसानों के आँसू ही बह रहे
उन्होंने कहा, ‘बीआरएस के शासन में, कालेश्वरम परियोजना का पानी सूर्यापेट जिले के पेनपहाड़ मंडल जैसे दूरदराज के इलाकों में भी खेतों तक पहुँचता था। अब पानी की जगह किसानों के आँसू ही बह रहे हैं।’ बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि मेदिगड्डा बैराज की मरम्मत से इनकार और कन्नेपल्ली से पंप चालू न करना सरकार का जानबूझकर किया गया कदम है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘पानी उठाने और आपूर्ति करने की संभावना के बावजूद, कांग्रेस सरकार उदासीन बनी हुई है।’ कांग्रेस को ‘कृषि विरोधी’ बताते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि बीआरएस उसकी साजिशों का पर्दाफाश करेगी और तेलंगाना के किसानों की रक्षा के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेगी।

कालेश्वरम परियोजना क्या है?
परियोजना तेलंगाना की एक बहु-उद्देश्यीय सिंचाई परियोजना है, जो गोदावरी नदी पर आधारित है। इसका उद्देश्य कृषि सिंचाई, पीने का पानी और औद्योगिक आपूर्ति प्रदान करना है। यह दुनिया की सबसे बड़ी लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं में से एक मानी जाती है।
कालेश्वरम किस लिए प्रसिद्ध है?
कालेश्वरम मुख्यतः भगवान श्री कालेश्वर (शिव) मंदिर और विशाल सिंचाई परियोजना के लिए प्रसिद्ध है। यह गोदावरी नदी के किनारे स्थित है और श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल होने के साथ-साथ अब तकनीकी दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थल बन गया है।
भारत की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना कौन सी है?
भारत की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई योजना मानी जाती है। यह तेलंगाना में स्थित है और इसका उद्देश्य लाखों एकड़ भूमि को सिंचाई सुविधा प्रदान करना है। यह आधुनिक तकनीकों से युक्त, लिफ्ट प्रणाली द्वारा पानी ऊँचाई तक पहुंचाने वाली परियोजना है।
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