भारत और अमेरिका के बीच कारोबार संबंधों में मूल्य दरों में कटौती को लेकर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। वर्तमान में लागू 26% क़ीमत दर जल्द ही कम हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि आपसी चर्चा के जरिए इस साल के अंत तक यह 10 से 15% के बीच आ सकता है।
टैरिफ में कटौती से दोनों देशों के व्यापारिक ढांचे पर सकारात्मक असर पड़ेगा। इंडिया-अमेरिका से रक्षा उपकरण, एयरक्राफ्ट, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर जैसे वस्तुएं की अधिक खरीदारी करता है। दूसरी ओर, अमेरिका भारत से कपड़े, केमिकल प्रोडक्ट्स और फार्मास्युटिकल्स का आयात करता है।
अनुभवी का मानना है कि 2025 के अंत तक टैरिफ 10 से 15% तक सीमित हो सकता है। इससे दोनों देशों के व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और नई कारोबार संभावनाएं खुलेंगी।
भारत और अमेरिका: ट्रंप का ‘दयालु रेसिप्रोकल’ टैरिफ नीति पर जोर
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मूल्य नीति को लेकर अपना रुख स्पष्ट किया है। उनका कहना है कि दुनिया के कई देश अमेरिका से जितना मूल्य लेते हैं, अमेरिका उसका सिर्फ आधा ही वसूलता है। ट्रंप ने इसे “दयालु रेसिप्रोकल” करार देते हुए कहा कि अमेरिका अन्य देशों के मुकाबले कम मूल्य लगाकर उदारता दिखा रहा है।

भारत के मूल्य को लेकर ट्रंप ने कहा कि नई दिल्ली द्वारा लगाए गए टैरिफ बहुत सख्त हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके अच्छे मित्र हैं, लेकिन इंडिया अमेरिका से 52% शुल्क वसूलता है, इसलिए अमेरिका भारत पर 26% क़ीमत लगाएगा। ट्रंप की इस नीति का लक्ष्य अमेरिका के व्यापार संतुलन को सुधारना और अन्य देशों को बराबरी का क़ीमत देने के लिए बाध्य करना है।