नेताओं की शानो-शौकत से युवाओं में गुस्सा
काठमांडू: नेपाल में सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी लगाए जाने के बाद काठमांडू(Kathmandu) समेत कई शहरों में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन(Protest) भड़क गए हैं। इनमें अब तक 18 लोगों की मौत और 200 से अधिक घायल हो चुके हैं। आंदोलन की अगुवाई Gen-Z पीढ़ी कर रही है, जो भ्रष्टाचार और नेताओं की आलीशान जीवनशैली से भी आक्रोशित है। इस नाराजगी को सोशल मीडिया बैन ने और हवा दे दी है।
Gen-Z की अगुवाई और सोशल मीडिया बैन
प्रदर्शन(Protest) में सबसे ज्यादा भागीदारी 18 से 25 वर्ष की उम्र के युवाओं की है। ये छात्र-छात्राएं स्कूल-कॉलेज की वर्दी में सड़कों पर उतरकर पोस्टर और बैनर लेकर नारेबाजी कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस आंदोलन को किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं है, बल्कि इसे नई पीढ़ी की स्वतःस्फूर्त बगावत कहा जा रहा है।
नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को 7 दिन में रजिस्ट्रेशन करने का आदेश दिया था। जब फेसबुक, यूट्यूब, व्हाट्सएप और एक्स जैसी कंपनियों ने तय समय में नियम नहीं माने, तो उन्हें ब्लॉक कर दिया गया। सरकार का कहना है कि यह कदम अफवाहों और साइबर अपराधों पर रोक लगाने के लिए जरूरी था।
टिकटॉक की मंजूरी और ‘नेपो किड’ विवाद
दिलचस्प बात यह है कि चीनी ऐप टिकटॉक ने समय रहते रजिस्ट्रेशन पूरा कर लिया, इसलिए उस पर रोक नहीं लगी। आलोचकों का मानना है कि नेपाल सरकार ने चीन(China) के दबाव में टिकटॉक को जानबूझकर बचा लिया। इस फैसले ने युवाओं में और असंतोष भड़का दिया।
इसी बीच, सोशल मीडिया पर नेताओं के बच्चों की आलीशान जिंदगी के वीडियो वायरल हुए, जिन्हें ‘नेपो किड’ ट्रेंड का नाम दिया गया। महंगी कारों, विदेशी शिक्षा और ब्रांडेड कपड़ों वाले इन वीडियो ने सामान्य युवाओं में गुस्सा बढ़ाया, क्योंकि नेपाल की प्रति व्यक्ति आय केवल 1,300 डॉलर सालाना है।
हामी नेपाल की भूमिका और आंदोलन का विस्तार
इन प्रदर्शनों(Protest) के पीछे NGO ‘हामी नेपाल’ की बड़ी भूमिका सामने आई है। इस संगठन ने इंस्टाग्राम और डिस्कॉर्ड पर छात्रों को विरोध के लिए तैयार किया। संगठन ने ‘यूथ्स अगेंस्ट करप्शन’ जैसे बैनर भी दिए और काठमांडू प्रशासन से प्रदर्शन की अनुमति ली।
हामी नेपाल की स्थापना 2015 में हुई थी और यह अब तक भूकंप, बाढ़ और सामाजिक अभियानों में सक्रिय रहा है। इसके संस्थापक सुदान गुरुंग ने इस बार बड़े पैमाने पर विरोध का आह्वान किया। शिक्षक भर्ती घोटाले पर सवाल उठाने के बाद वे पहली बार सीधे राजनीतिक विवाद में आए।
नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को रजिस्ट्रेशन के लिए क्यों मजबूर किया?
सरकार का कहना था कि अफवाहें, नफरत और साइबर अपराध बढ़ रहे थे। इसलिए कंपनियों से लोकल ऑफिस और अधिकारी नियुक्त करने, नोटिसों का जवाब देने और डेटा शेयर करने की शर्त रखी गई, जिसे अधिकांश कंपनियों ने मानने से इनकार कर दिया।
‘नेपो किड’ ट्रेंड से युवाओं में असंतोष क्यों फैला?
नेताओं के बच्चों की ऐशो-आराम भरी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इसमें उन्हें लग्जरी कारों और विदेशी शिक्षा का आनंद लेते दिखाया गया। साधारण युवाओं की आर्थिक स्थिति देखकर यह तुलना उन्हें और ज्यादा आक्रोशित कर गई।
अन्य पढ़े: