चुनाव आयोग ने की वोट चोरी
नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल(Rahul) गांधी ने लगातार दूसरे दिन चुनाव आयोग को ‘वोट चोरी’ और ‘वोट हटाने’ के मामले पर घेरा। उन्होंने चुनाव आयोग का नाम लिए बिना कहा कि “चुनाव का चौकीदार जागता रहा, चोरी देखता रहा, चोरों को बचाता रहा।” उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप भी साझा की, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि वोटरों को 36 सेकंड में हटाया गया। इससे पहले उन्होंने दिल्ली(Delhi) में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर लोकतंत्र को नष्ट करने वालों और वोट चोरों की रक्षा करने का आरोप लगाया था। आरोपों के समर्थन में उन्होंने कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र के कुछ वोटरों को भी पेश किया, जिनके नाम हटाने की कोशिश की गई थी।
सत्ता पक्ष का पलटवार: ‘राहुल का दिमाग चोरी हो गया’
राहुल(Rahul) गांधी के आरोपों पर सत्ता पक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि राहुल गांधी हताशा में हैं और वे ‘अर्बन नक्सल’ बनना चाहते हैं। उन्होंने राहुल के Gen-Z वाले बयान पर भी निशाना साधा। सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर वाकई वोट चोरी हुई है, तो कांग्रेस को चुनाव आयोग का धन्यवाद करना चाहिए, क्योंकि कांग्रेस ने पहली बार आलंद सीट जीती है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल के आरोपों को ‘निराधार’ बताते हुए कहा कि यह वोट चोरी का नहीं, बल्कि ‘राहुल गांधी का दिमाग चोरी होने’ का मामला है। उन्होंने राहुल पर देश के संविधान और उसकी व्यवस्थाओं के प्रति आस्था न रखने का आरोप भी लगाया।
चुनाव आयोग ने आरोपों को बताया ‘निराधार’
राहुल(Rahul) गांधी के आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। आयोग ने राहुल(Rahul) के आरोपों को गलत और निराधार बताया। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि कोई भी आम नागरिक ऑनलाइन किसी का वोट नहीं हटा सकता। किसी भी वोटर का नाम सूची से हटाने से पहले संबंधित व्यक्ति को अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है। राहुल(Rahul) ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि कर्नाटक की आलंद विधानसभा में कांग्रेस समर्थकों के वोट योजनाबद्ध तरीके से हटाए गए और इसके लिए दूसरे राज्यों के मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया गया था।
चुनाव आयोग किसी वोटर का नाम वोटर लिस्ट से कैसे हटाता है?
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, किसी भी मतदाता का नाम वोटर लिस्ट से हटाने के लिए एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन किया जाता है। इसके लिए फॉर्म 7 भरना होता है। नाम हटाने से पहले, संबंधित मतदाता को नोटिस भेजा जाता है और उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि किसी भी व्यक्ति का नाम गलत तरीके से न हटाया जाए।
‘अर्बन नक्सल’ शब्द का क्या मतलब है?
‘अर्बन नक्सल’ शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर उन व्यक्तियों के लिए किया जाता है, जो शहरी क्षेत्रों में रहकर सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों के माध्यम से नक्सलवाद या माओवाद की विचारधारा का समर्थन करते हैं। इस शब्द का प्रयोग अक्सर सरकार विरोधी या मौजूदा संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ बोलने वाले लोगों की आलोचना करने के लिए किया जाता है।
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