Rajnath Singh ने चीनी रक्षा मंत्री संग की बातचीत, Kailash यात्रा पर जताई खुशी द्विपक्षीय संबंधों में नरमी के संकेत
भारत के रक्षा मंत्री Rajnath Singh और चीन के रक्षा मंत्री डोंग जून के बीच हुई बैठक में
दोनों देशों के बीच चल रहे सीमा विवादों और आपसी तनाव पर सार्थक चर्चा हुई।
इस दौरान कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली पर खुशी जताते हुए आगे की रणनीतियों पर भी बातचीत हुई।
किन मुद्दों पर हुई बातचीत?
- सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए दोनों पक्षों ने सहमति जताई
- Rajnath Singh ने स्पष्ट किया कि
“भारत यथास्थिति बदलने वाले किसी भी प्रयास का विरोध करेगा।” - उन्होंने मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए चीन की पहल की सराहना की
- साथ ही कहा कि ऐसे कदम जन-जन के बीच विश्वास और संबंधों में सुधार लाते हैं

कैलाश मानसरोवर यात्रा का महत्व
- यह यात्रा हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है
- कोविड और सीमा विवाद के कारण पिछले कुछ वर्षों से यात्रा पर रोक लगी हुई थी
- अब इसके दोबारा शुरू होने से धार्मिक भावनाओं को बल मिलेगा
- यात्रा के फिर से शुरू होने से भारत-चीन के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध भी मज़बूत हो सकते हैं
रक्षा और रणनीतिक मामलों में क्या रहा फोकस?
- दोनों नेताओं ने यह भी माना कि
सैन्य स्तर पर संवाद और संयुक्त अभ्यास से विश्वास बहाली में मदद मिल सकती है - राजनाथ सिंह ने भारत की संप्रभुता और अखंडता पर कोई समझौता न करने की बात दोहराई
- साथ ही LAC पर स्थायी समाधान की जरूरत को रेखांकित किया गया

कूटनीतिक दृष्टिकोण से क्यों है अहम?
- यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब भारत और चीन के बीच कई सामरिक मोर्चों पर तनाव बना हुआ है
- लेकिन कैलाश यात्रा जैसी सांस्कृतिक पहल से मुलायम डिप्लोमेसी का रास्ता खुलता नजर आता है
- विश्लेषकों का मानना है कि यह चर्चा दोनों देशों के बीच विश्वास निर्माण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है
Rajnath Singh और चीनी रक्षा मंत्री की इस बैठक से एक बात साफ है –
भारत और चीन दोनों ही सीमा विवाद को बातचीत के जरिए हल करना चाहते हैं।
साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली इस दिशा में एक सांस्कृतिक सेतु बन सकती है,
जो आने वाले समय में जनभावनाओं और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती दे सकती है।
अब देखना यह है कि क्या ये सकारात्मक संकेत व्यवहारिक कूटनीति में भी तब्दील हो पाते हैं।