रक्षा मंत्रालय ने साझा की Indigenous Aircraft की नई तस्वीर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम
रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एक स्वदेशी लड़ाकू विमान, यानी indigenous aircraft की तस्वीर सार्वजनिक की है। यह तस्वीर भारत की रक्षा तकनीक में हो रही तेज़ प्रगति और आत्मनिर्भरता की दिशा में चल रही पहलों का स्पष्ट प्रमाण है।
क्या है इस indigenous aircraft की खासियत?
इस तस्वीर में दिखाया गया indigenous aircraft अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है और इसे भारत के ही वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने डिज़ाइन व विकसित किया है। यह विमान रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) का संयुक्त प्रयास है।

मुख्य विशेषताएँ:
- उन्नत एवियोनिक्स और रडार सिस्टम
- हल्का व तेज गति से उड़ान भरने में सक्षम
- हवा में ईंधन भरने की सुविधा
- मल्टी-रोल क्षमताएं (स्ट्राइक, इंटरसेप्ट, सर्विलांस)
रक्षा मंत्रालय की टिप्पणी
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह तस्वीर केवल तकनीकी उपलब्धि का प्रतीक नहीं, बल्कि देश की स्वदेशी विमान क्षमताओं की सार्वजनिक स्वीकृति भी है। मंत्रालय ने इसे ‘Make in India’ और ‘Atmanirbhar Bharat’ अभियानों का प्रमुख उदाहरण बताया।
भारत के लिए क्या है इसका महत्व?
indigenous aircraft के विकास से भारत न केवल विदेशी रक्षा उपकरणों पर निर्भरता कम कर रहा है, बल्कि अपने सामरिक दृष्टिकोण को भी मजबूत कर रहा है। यह विमान भारतीय वायुसेना की शक्ति को और बढ़ाएगा और भविष्य में निर्यात की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।
तेजस और आगे की योजनाएं
तेजस लड़ाकू विमान भारत का पहला पूर्ण रूप से indigenous aircraft है, जिसे HAL ने तैयार किया है।
अब सरकार और HAL मिलकर तेजस मार्क-2 और AMCA जैसे अगली पीढ़ी के विमानों पर काम कर रहे हैं।

भविष्य की योजनाएं:
- स्वदेशी स्टील्थ फाइटर AMCA का विकास
- HAL द्वारा मानव रहित लड़ाकू ड्रोन का परीक्षण
- निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना
रक्षा मंत्रालय की यह पहल केवल एक तस्वीर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की स्वदेशी विमान क्षमता को दर्शाने वाला एक बड़ा कदम है। इससे देश की सैन्य मजबूती के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की दिशा में एक ठोस योगदान होगा।