తెలుగు | Epaper

Rambha Teej 2025: व्रत, पूजा और पौराणिक कथा

digital
digital
Rambha Teej 2025: व्रत, पूजा और पौराणिक कथा

Rambha Teej Vrat: रंभा तीज हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह दिन मुख्य रूप से सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत और पूजा करने के लिए जाना जाता है।

रंभा तीज का धार्मिक महत्व

इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत से सुखी वैवाहिक जीवन, सौभाग्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

कन्याओं के लिए विशेष दिन

कुंवारी कन्याएं भी इस दिन मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत संयम, भक्ति और विश्वास का प्रतीक है।

रंभा का उद्भव और अप्सराओं में स्थान

Rambha Teej Vrat: पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, रंभा समुद्र मंथन के वक्त प्रकट हुई थीं। वह 11 अप्सराओं में से एक थीं और अपनी मधुर वाणी, नृत्य कला और सुंदरता के लिए मशहूर थीं।

उसने देवता या दानव किसी का साथ न लेकर स्वर्ग लोक में वास करने का फैसला लिया था।

Rambha Teej Vrat

रावण और रंभा की कथा

वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, एक बार रावण स्वर्ग में रंभा को देखकर कामातुर हो गया और उसके साथ दुराचार किया। रंभा ने रावण से कहा कि वह कुबेर के पुत्र नलकुबेर के लिए आरक्षित है और इस नाते वह रावण की पुत्रवधू जैसी है।

रंभा का श्राप और रावण का विनाश

रावण की अनुचित हरकत के बाद रंभा ने उसे श्राप दिया कि यदि वह किसी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध छुएगा, तो उसका सिर टुकड़ों में बंट जाएगा। यही कारण था कि रावण सीता का हरण तो कर सका, लेकिन उसे छू न सका।

रंभा तीज व्रत की विधि

  • सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • शिव-पार्वती की विधिवत पूजा करें।
  • फल, फूल, रोली, हल्दी, मेहंदी आदि अर्पित करें।
  • कथा का श्रवण करें और दिन भर निराहार व्रत रखें।
  • रात्रि में पूजन कर फलाहार लें।
अन्य पढ़ेंJyestha Amavasya 2025: जीवन की परेशानियों से मुक्ति दिलाने वाले उपाय
अन्य पढ़ेंAncestral Curse: पितृ दोष क्या होता है?

Chandra Grahan: चंद्र ग्रहण कुछ ही घंटों में शुरू होगा साल का अंतिम ग्रहण

Chandra Grahan: चंद्र ग्रहण कुछ ही घंटों में शुरू होगा साल का अंतिम ग्रहण

Donation: पितृपक्ष में दान से मिलेगी ग्रह शांति

Donation: पितृपक्ष में दान से मिलेगी ग्रह शांति

Ganesh Visarjan: अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त

Ganesh Visarjan: अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त

Shukra Pradosh: शुक्र प्रदोष व्रत कथा का महत्व

Shukra Pradosh: शुक्र प्रदोष व्रत कथा का महत्व

Vaman Dwadashi: वामन द्वादशी 2025 का महत्व और पूजा विधि

Vaman Dwadashi: वामन द्वादशी 2025 का महत्व और पूजा विधि

Chandra Grahan 2025: गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानियाँ

Chandra Grahan 2025: गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानियाँ

Samsaptak yog 2025: चंद्र ग्रहण पर मंगल-शनि का दुर्लभ समसप्तक योग!

Samsaptak yog 2025: चंद्र ग्रहण पर मंगल-शनि का दुर्लभ समसप्तक योग!

Anant Chaturdashi :  चतुर्दशी पर बांधते हैं 14 गांठों वाला अनंत सूत्र

Anant Chaturdashi : चतुर्दशी पर बांधते हैं 14 गांठों वाला अनंत सूत्र

Chandra Grahan : 7 सितंबर के चंद्रग्रहण का सूतक काल कब से लगेगा

Chandra Grahan : 7 सितंबर के चंद्रग्रहण का सूतक काल कब से लगेगा

Ekadashi: परिवर्तिनी एकादशी का विशेष महत्व

Ekadashi: परिवर्तिनी एकादशी का विशेष महत्व

Anant Chaturdashi  2025: अनन्त चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त

Anant Chaturdashi  2025: अनन्त चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त

Pitru Paksha: पितृपक्ष में भूलकर भी न रखें ये वस्तुएं

Pitru Paksha: पितृपक्ष में भूलकर भी न रखें ये वस्तुएं

📢 For Advertisement Booking: 98481 12870