Rambha Teej Vrat: रंभा तीज हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह दिन मुख्य रूप से सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत और पूजा करने के लिए जाना जाता है।
रंभा तीज का धार्मिक महत्व
इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत से सुखी वैवाहिक जीवन, सौभाग्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
कन्याओं के लिए विशेष दिन
कुंवारी कन्याएं भी इस दिन मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत संयम, भक्ति और विश्वास का प्रतीक है।
रंभा का उद्भव और अप्सराओं में स्थान
Rambha Teej Vrat: पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, रंभा समुद्र मंथन के वक्त प्रकट हुई थीं। वह 11 अप्सराओं में से एक थीं और अपनी मधुर वाणी, नृत्य कला और सुंदरता के लिए मशहूर थीं।
उसने देवता या दानव किसी का साथ न लेकर स्वर्ग लोक में वास करने का फैसला लिया था।

रावण और रंभा की कथा
वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, एक बार रावण स्वर्ग में रंभा को देखकर कामातुर हो गया और उसके साथ दुराचार किया। रंभा ने रावण से कहा कि वह कुबेर के पुत्र नलकुबेर के लिए आरक्षित है और इस नाते वह रावण की पुत्रवधू जैसी है।
रंभा का श्राप और रावण का विनाश
रावण की अनुचित हरकत के बाद रंभा ने उसे श्राप दिया कि यदि वह किसी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध छुएगा, तो उसका सिर टुकड़ों में बंट जाएगा। यही कारण था कि रावण सीता का हरण तो कर सका, लेकिन उसे छू न सका।
रंभा तीज व्रत की विधि
- सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- शिव-पार्वती की विधिवत पूजा करें।
- फल, फूल, रोली, हल्दी, मेहंदी आदि अर्पित करें।
- कथा का श्रवण करें और दिन भर निराहार व्रत रखें।
- रात्रि में पूजन कर फलाहार लें।