भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस साल फरवरी और अप्रैल में दो बार 25 बेसिस प्वाइंट की रेपो रेट में कटौती की है। इससे आम जनता को राहत मिली है, क्योंकि बैंक लोन की दरें कम हुईं और EMI सस्ती हो गईं। अब जून से दिवाली तक RBI की ओर से और कटौती की संभावना जताई जा रही है।
मौद्रिक नीति बैठक में हो सकता है बड़ा फैसला
भारतीय रिजर्व बैंक की अगली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 4 से 6 जून 2025 के बीच प्रस्तावित है। प्रतिवेदनो की मानें तो इस बैठक में 0.25% की कटौती पर पहले ही सहमति बन चुकी है।
इसके बाद अगस्त और सितंबर की बैठकों में भी रेपो रेट में और कटौती की संभावना है।
एसबीआई रिपोर्ट का अनुमान
SBI की प्रतिवेदन के मुताबिक, वित्त साल 2025-26 में RBI द्वारा 125 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती संभव है।
- जून और अगस्त में मिलाकर 75 बेसिस प्वाइंट
- वित्त साल की दूसरी छमाही में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती
यदि ऐसा हुआ, तो दिवाली तक जनता को बड़ी राहत मिल सकती है।

रेपो रेट में कटौती का सीधा असर
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को उधार देता है।
जब रेपो रेट कम होती है:
- बैंक सस्ता ऋण लेते हैं
- लोन की ब्याज दरें घटती हैं
- EMI कम होती है
- मकान और गाड़ियों के लोन लेना सस्ता होता है
इसलिए रेपो रेट कटौती से सीधे तौर पर आम लोगों की जेब पर प्रभाव पड़ता है।
आरबीआई की संरचना और निर्णय प्रक्रिया
मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) में कुल 6 सभासद होते हैं:
- 3 सभासद RBI के
3 सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नामित
RBI वर्ष में 6 बार मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक करता है, जिनमें नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं। ये बैठकें हर दो महीने में एक बार आयोजित होती हैं।