पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी के चलते गोल्ड लोन मार्केट में काफी जोश देखा गया है। इसे देखते हुए, RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) ने इस सेक्टर के लिए नए नियम बनाने का फैसला किया है। ये नियम गोल्ड लोन देने वाले बैंकों और NBFCs (नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों) के लिए सावधानी से जुड़ी नीतियों और नैतिक व्यवहार पर आधारित होंगे। RBI के इस ऐलान के बाद गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों के शेयर गिर गए।
RBI ने कहा, “गोल्ड लोन से जुड़ी गतिविधियों को एक समान बनाने, जोखिम क्षमता को ध्यान में रखते हुए, और कुछ समस्याओं को हल करने के लिए, हमने ऐसे लोन के लिए सावधानी संबंधी नियम और आचार व्यवहार से जुड़े व्यापक नियम लाने का निर्णय लिया है।”
RBI ने अपनी पिछली समीक्षा में गोल्ड लोन सेक्टर में कई गड़बड़ियां पाई थीं। इनमें
- लोन की व्यवस्था और मूल्यांकन के लिए थर्ड पार्टी का अनुचित इस्तेमाल,
- ग्राहक की मौजूदगी के बिना सोने का मूल्यांकन करना,
- लोन के लिए ठीक से जांच-पड़ताल न करना,
- यह न देखना कि लोन की रकम का सही उपयोग हो रहा है या नहीं,
- ग्राहक के डिफॉल्ट करने पर सोने की नीलामी में पारदर्शिता की कमी,
- लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात की निगरानी में कमी और
- जोखिम के लिए गलत कैलकुलेशन।
2024 में भारत में सोने की कीमतें 32% बढ़ गई थीं। सोने के दाम बढ़ने से ग्राहकों को उतनी ही मात्रा के सोने पर ज्यादा लोन मिल रहा है। इसके कारण ज्यादा लोग अपना सोना गिरवी रख कर लोन ले रहे हैं, और गोल्ड लोन में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। जनवरी 2025 तक बैंकों और NBFCs का गोल्ड लोन बकाया 1.78 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले साल की तुलना में 76.9% ज्यादा है।
हालांकि, अगर सोने की कीमतें तेजी से गिरती हैं, तो गिरवी रखे गए सोने की वैल्यू कम हो सकती है और संस्थाओं के लिए डिफॉल्ट का जोखिम बढ़ जाता है। भले ही ये संस्थाएँ गिरवी रखे सोने को नीलाम करके पैसा वापस पाने की कोशिश करें, लेकिन कीमत लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात से काफी कम हो सकती है। फिलहाल RBI ने LTV को सोने की वैल्यू का 75% तय कर रखा है।
RBI के इस ऐलान के बाद बुधवार को:
- मुथूट फाइनेंस के शेयर 10.15% गिरे,
- मनप्पुरम फाइनेंस के शेयर 2.8% गिरे,
- IIFL फाइनेंस के 6.12% गिरे,
- और फेडरल बैंक के 1.17% गिरे।