रेपो रेट 5.5% हुई, ब्याज दरों में 0.5% कटौती: लोगों को राहत

By Vinay | Updated: June 6, 2025 • 11:17 AM

मुंबई, 6 जून 2025: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 4-6 जून 2025 की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट को 0.25% घटाकर 5.5% कर दिया। यह 2025 में तीसरी कटौती है, जिससे रेपो रेट 6% से घटकर 5.5% हो गया। साथ ही, बैंकों ने ब्याज दरों में 0.5% की कटौती की घोषणा की, जो उधारकर्ताओं के लिए बड़ी राहत लेकर आई। यह निर्णय वैश्विक व्यापार युद्ध और कमजोर घरेलू मांग के बीच आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए लिया गया। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारत वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद बेहतर स्थिति में है।

RBI की 4 जून 2025 की बैठक के प्रमुख फैसले

RBI ने रेपो रेट को 6% से 5.5% किया, जो फरवरी और अप्रैल 2025 में 25-25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती के बाद तीसरी कमी है। MPC ने नीति को ‘न्यूट्रल’ से ‘एकोमोडेटिव’ में बदला, जो आर्थिक वृद्धि को प्राथमिकता देता है। RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP वृद्धि 6.5% और CPI मुद्रास्फीति 4% अनुमानित की है। अप्रैल 2025 में मुद्रास्फीति 3.16% रही, जो कटौती के लिए अनुकूल थी।

लोगों को क्या फायदा?

  1. होम लोन सस्ते: ब्याज दरों में 0.5% कटौती से होम लोन की EMI कम होगी। उदाहरण के लिए, 50 लाख रुपये के 20 साल के लोन पर 8.5% से 8% ब्याज होने पर EMI में करीब 1,595 रुपये की मासिक बचत होगी। फ्लोटिंग रेट लोन वाले तुरंत लाभान्वित होंगे।
  2. कार और पर्सनल लोन किफायती: ऑटो और पर्सनल लोन की दरें कम होने से कार खरीदना या अन्य जरूरतों के लिए ऋण लेना सस्ता होगा। इलेक्ट्रिक वाहनों पर कुछ बैंक अतिरिक्त छूट दे रहे हैं।
  3. रियल एस्टेट और व्यवसायों को बढ़ावा: सस्ते ऋण से रियल एस्टेट में मांग बढ़ेगी और व्यवसायों को विस्तार के लिए पूंजी मिलेगी, जिससे रोजगार सृजन होगा।
  4. निवेश के अवसर: कम दरों से शेयर बाजार और डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश आकर्षक होगा, क्योंकि बॉन्ड की कीमतें बढ़ेंगी।

चुनौतियां

क्या करें?

उधारकर्ता अपने लोन की दरें जांचें और रेपो-लिंक्ड लोन में रिफाइनेंसिंग पर विचार करें। नए उधारकर्ता कम दरों का लाभ उठाएं। निवेशक FD में मौजूदा दरें लॉक करें और डेट फंड्स पर विचार करें।

RBI की 4 जून 2025 की रेपो रेट कटौती और ब्याज दरों में कमी से होम लोन, ऑटो लोन और व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा। यह आर्थिक विकास को गति देगा, लेकिन मुद्रास्फीति और बैंकों के लाभ हस्तांतरण पर नजर रखना जरूरी है।

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