नई दिल्ली। सीएम रेवंत (Chief Minister) रेड्डी ने बुधवार को कहा कि पिछड़ी जातियों को 42 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक उनकी सरकार द्वारा जाति जनगणना सर्वेक्षण (Caste census survey) के आधार पर तैयार किया गया है। दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को राष्ट्रपति की मंज़ूरी के लिए भेज दिया गया है।
गठबंधन के नेताओं से भी समर्थन जुटाने की कोशिश
उन्होंने कहा कि वे इस विधेयक को पारित कराने के लिए केंद्र में विपक्षी दलों के गठबंधन के नेताओं से भी बातचीत की कोशिश कर रहे हैं। रेवंत रेड्डी ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि तेलंगाना उच्च न्यायालय ने सितंबर के अंत तक तेलंगाना में स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा, “अगर केंद्र आरक्षण विधेयक जल्दी पारित कर देता है, तो उच्च न्यायालय के आदेशानुसार स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएँगे।“
भाजपा नेतृत्व इस मुद्दे पर दोहरा रवैया : रेवंत रेड्डी
इस मुद्दे पर प्रतिद्वंद्वी भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि “राज्य के भाजपा नेताओं ने तेलंगाना विधानसभा में 42 प्रतिशत आरक्षण विधेयक का समर्थन किया था और अब कुछ और ही बात कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी और बंडी संजय का कहना है कि कुल आरक्षण में से मुसलमानों का प्रतिशत हटा दिया जाना चाहिए। क्या भाजपा शासित राज्यों के लिए एक न्याय होगा और तेलंगाना के लिए दूसरा? भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण क्यों नहीं हटाया जा रहा है? भाजपा नेताओं को संबंधित राज्यों में मुस्लिम आरक्षण हटाने के बाद ही तेलंगाना के बारे में बात करनी चाहिए।”
हम स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट का पालन
उन्होंने स्पष्ट किया कि वे जो आरक्षण देना चाहते हैं, उसमें धर्म का कोई उल्लेख नहीं है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि जाति जनगणना सर्वेक्षण में लोगों के व्यक्तिगत विवरण का खुलासा नहीं किया गया था और कहा कि 3.99 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे किसी भी जाति से संबंधित नहीं हैं।” हम स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट का पालन कर रहे हैं। हम आगे बढ़ रहे हैं। केवल वे लोग, जो पिछड़े वर्ग के आरक्षण को रोकने की साजिश रच रहे हैं, संदेह पैदा कर रहे हैं। अगर कोई नेता जाति जनगणना सर्वेक्षण के आंकड़े चाहता है, तो हम उसे संबंधित दलों और विधानसभा में पेश करेंगे।
भाजपा नेता बंडारू दत्तात्रेय को अगला उपराष्ट्रपति बनाने की मांग
सीएम ने कहा कि हमारे द्वारा दिए जाने वाले आरक्षण में धर्म का कोई ज़िक्र नहीं है। भाजपा एक बार फिर मुसलमानों के नाम पर भावनात्मक राजनीति करने की कोशिश कर रही है। तीन किसान विरोधी कानूनों के मामले में क्या हुआ। यह सबने देखा है। हम किसान कानूनों को निरस्त करने की भावना से पिछड़े वर्ग के आरक्षण अधिनियम को पारित कराने के लिए लड़ेंगे।,” मुख्यमंत्री ने मांग की कि वरिष्ठ भाजपा नेता बंडारू दत्तात्रेय, जो पिछड़े वर्ग से हैं, को भारत का अगला उपराष्ट्रपति बनाया जाना चाहिए।
कौन सी जाति पिछड़ी जाति है?
भारत में जातीय व्यवस्था ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से जटिल है। सरकार ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की सहायता के लिए इन्हें तीन प्रमुख श्रेणियों में बाँटा है
भारत में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग क्या है?
ये जातियाँ सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी मानी गई हैं, लेकिन SC/ST की तरह अत्यधिक भेदभाव का शिकार नहीं रही हैं।
इन जातियों को भी शिक्षा, नौकरियों और राजनीति में आरक्षण मिलता है।
उदाहरण: यादव, कुर्मी, जाटव (कुछ राज्यों में), लोधी, माली, तेली, नाई, बढ़ई आदि (राज्य के अनुसार अलग-अलग OBC सूची होती है)।
पिछड़ा वर्ग और पिछड़ी जाति क्या है
पिछड़ा वर्ग (Backward Class) एक व्यापक श्रेणी है जिसमें वो जातियाँ शामिल हैं जो विकास की दौड़ में पीछे रह गई हैं।
- पिछड़ी जाति उस वर्ग की एक इकाई होती है। यानी हर पिछड़ी जाति, पिछड़े वर्ग का हिस्सा होती है।
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