खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि का असर
नई दिल्ली: अगस्त महीने में खुदरा महंगाई(Retail Inflation) दर में थोड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है। यह जुलाई में 1.61% से बढ़कर 2.07% पर पहुंच गई है। इस वृद्धि का मुख्य कारण खाने-पीने की कुछ वस्तुओं की कीमतों में हुई बढ़ोतरी है। यह आंकड़ा सरकार द्वारा 12 सितंबर को जारी किया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महंगाई दर को 4% (±2%) की सीमा में बनाए रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
ग्रामीण और शहरी महंगाई दर
अगस्त में महंगाई दर में वृद्धि का असर ग्रामीण और शहरी, दोनों ही क्षेत्रों में देखा गया है। ग्रामीण महंगाई(Rural Inflation) दर जुलाई के 1.18% से बढ़कर 1.69% हो गई है। वहीं, शहरी महंगाई दर 2.10% से बढ़कर 2.47% पर पहुंच गई है। महंगाई(Retail Inflation) के आकलन में खाने-पीने की वस्तुओं का योगदान लगभग 50% होता है, और इस क्षेत्र में कीमतों में वृद्धि से समग्र महंगाई पर असर पड़ा है।
महंगाई बढ़ने के कारण
किसी भी उत्पाद की मांग (डिमांड) और आपूर्ति (सप्लाई) में असंतुलन महंगाई का सबसे बड़ा कारण होता है। जब लोगों के पास अधिक पैसा होता है तो वे ज्यादा खरीदारी करते हैं, जिससे वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है। यदि इस बढ़ती मांग के अनुसार आपूर्ति न हो पाए, तो उन वस्तुओं की कीमतें बढ़ने लगती हैं। सरल शब्दों में, बाजार में बहुत अधिक पैसा आ जाना या वस्तुओं की कमी हो जाना महंगाई(Retail Inflation) का कारण बनता है। इसके विपरीत, जब मांग कम होती है और आपूर्ति ज्यादा, तो महंगाई कम होती है। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) का उपयोग खुदरा महंगाई(Retail Inflation) को मापने के लिए किया जाता है।
अगस्त में खुदरा महंगाई दर बढ़कर कितने प्रतिशत हो गई?
अगस्त में खुदरा महंगाई(Retail Inflation) दर जुलाई के 1.61% से बढ़कर 2.07% पर पहुंच गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महंगाई दर के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किया है?
RBI का लक्ष्य महंगाई दर को 4% ±2% की सीमा में रखने का है।
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