स्टालिन के सपोर्ट में उतरे तेलंगाना CM, परिसीमन पर बोले- दक्षिण को सीमित करना चाहती BJP

तेलंगाना CM

रेवंत रेड्डी ने कहा कि दक्षिण में बीजेपी का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है इसलिए वे हिसाब बराबर करना चाह रहे हैं. यह निश्चित तौर पर दलगत राजनीति है. बीजेपी परिसीमन के नाम पर दक्षिण को सीमित करने की कोशिश कर रही है. हम स्टालिन के प्रयास का स्वागत करते हैं.

दक्षिण के राज्यों में इन दिनों परिसीमन को लेकर सियासत तेज हो गई है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस पर विरोध जताया है. धीरे-धीरे और भी नेता उनके करीब आ रहे हैं. वहीं, इस बीच तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी का बयान सामने आया है. सीएम रेडी ने बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि बीजेपी परिसीमन के नाम पर दक्षिण को सीमित करने की कोशिश कर रही है.

रेवंत रेड्डी ने कहा कि दक्षिण में बीजेपी का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है इसलिए वे हिसाब बराबर करना चाह रहे हैं. यह निश्चित तौर पर दलगत राजनीति है. हम स्टालिन के प्रयास का स्वागत करते हैं. कांग्रेस पार्टी इस बैठक में जाने को तैयार हो गई है लेकिन मैं शीर्ष नेतृत्व की अनुमति से जाऊंगा. तमिलनाडु जाने से पहले हम तेलंगाना में एक सर्वदलीय बैठक आयोजित करेंगे.

दक्षिण के राज्यों को क्यों सता रहा परिसीमन का डर?

सीएम रेड्डी ने कहा कि हम किशन रेड्डी को भी तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष के रूप में आमंत्रित करेंगे. यह एक ऐसा निर्णय है जो हमारे मौलिक अधिकारों को प्रभावित करता है. किशन रेड्डी को इस बैठक में जरूर आना चाहिए. इस पर हम सभी की ओर से कैबिनेट में सवाल उठाया जाना चाहिए. दक्षिण के राज्यों को इस बात का डर सता रहा है कि परिसीमन के बाद कहीं लोकसभा की सीटें कम न हो जाएं.

दक्षिण के राज्यों को इस बात का डर है कि परिसीमन के बात लोकसभा में दक्षिण की हिस्सेदारी कम हो सकती है. वहीं, नॉर्थ इंडिया में सीटों की संख्या बढ़ सकती है. जनसंख्या के हिसाब से अगर देखा जाए तो परिसीमन होने पर न केवल तमिलनाडु बल्कि आंध्र, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना में भी लोकसभा सीटों की संख्या कम हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योकि नॉर्थ इंडिया में आबादी ज्यादा है.



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