कालाबाजार में बिक रहा बीपीएल परिवारों के लिए पीडीएस चावल
हैदराबाद। राज्य सरकार द्वारा उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को तीन महीने का चावल (Rice) वितरित करने के साथ ही, शहर और बाहरी इलाकों में चावल माफिया कथित तौर पर सक्रिय हो गए हैं। ऐसी खबरें हैं कि एजेंट उन झुग्गी-झोपड़ियों वाले इलाकों में जाते हैं जहां बीपीएल (BPL) परिवारों की अच्छी खासी आबादी है और वे खाद्य सुरक्षा कार्ड के लाभार्थियों से Rice एकत्र करते हैं। इस कारोबार की जानकारी रखने वाले मोहम्मद साजिद (बदला हुआ नाम) ने बताया, ‘Rice की गुणवत्ता को लेकर कुछ समस्याओं के कारण, लाभार्थी इसे एजेंटों को बेच रहे हैं, जो स्कूटर और ऑटो-रिक्शा से उनके घर आते हैं। एक किलो Rice अब 19 रुपये में खरीदा जा रहा है, जबकि पहले यह 10 रुपये में मिलता था।‘
एजेंटों को 18 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेच रहे हैं चावल
कई राशन दुकान डीलर भी कथित तौर पर एजेंटों को 18 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से Rice बेच रहे हैं। Rice इकट्ठा करने के बाद, एजेंट उसे रिहायशी इलाकों में कुछ घरों में जमा कर देते हैं। पीडीएस Rice के कारोबार से जुड़े अब्दुल खादिर (बदला हुआ नाम) ने बताया, ‘बाद में इसे ट्रकों और ऑटो ट्रॉलियों में ज़हीराबाद ले जाया जाता है, जहाँ इसे बड़े व्यापारियों को 28 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है।’ देर रात के समय आउटर रिंग रोड के रास्ते ज़हीराबाद और आसपास के मंडलों तक चावल पहुँचाया जाता है। खादीर ने बताया, ‘एक ट्रक में लगभग 14 टन चावल पहुँचाया जाता है और प्रति ट्रक कमाई 1,30,000 से 1,50,000 रुपये के बीच होती है।’

दूसरे राज्यों में भेजा जाता है चावल
ज़हीराबाद से Rice दूसरे राज्यों में भेजा जाता है। पहले इसे सीधे कर्नाटक और महाराष्ट्र भेजा जाता था, लेकिन अब कुछ बड़े व्यापारियों ने इस पर कब्ज़ा कर लिया है। शहर के कुछ तस्कर हर हफ़्ते दो ट्रक ज़हीराबाद के मुख्य व्यापारियों के पास भेजते हैं। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, पीडीएस माफिया गश्ती दलों को रिश्वत देने के साथ-साथ हर महीने उपद्रवी शीटरों को संरक्षण राशि भी दे रहा है। स्थानीय एजेंट युवाओं को 500 रुपये प्रतिदिन देकर रोजगार दे रहे हैं और उन्हें घूमने तथा चावल इकट्ठा करने के लिए स्कूटर भी उपलब्ध करा रहे हैं।
अक्सर करते हैं छापेमारी
पीडीएस माफिया विशेष रूप से शहर के पुराने इलाकों जैसे फलकनुमा, रीन बाजार, भवानीनगर, बहादुरपुरा और इसके विस्तारित क्षेत्रों जैसे राजेंद्रनगर, मैलारदेवपल्ली, अट्टापुर, बालापुर, पहाड़ीशरीफ और मीरपेट में सक्रिय है। हैदराबाद पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि विश्वसनीय सूचनाओं के आधार पर वे नागरिक आपूर्ति अधिकारियों की सहायता से अक्सर छापेमारी करते हैं और संपत्ति जब्त करते हैं। अधिकारी ने कहा, ‘हर पखवाड़े पीडीएस चावल तस्करी के एक या दो मामले दर्ज किए जा रहे हैं।’
चावल का पुराना नाम क्या था?
Rice चावल का पुराना नाम “ओरायजा सैटिवा” (Oryza Sativa) है, जो इसका वैज्ञानिक नाम भी है। संस्कृत में इसे “तण्डुल” कहा जाता था। प्राचीन भारत में चावल को “व्रीहि” और “षालि” भी कहा जाता था। यह नाम वैदिक ग्रंथों और आयुर्वेद में उल्लेखित हैं।
चावल का पूरा नाम क्या है?
Rice चावल का कोई “पूरा नाम” नहीं होता क्योंकि यह एक अनाज है, लेकिन इसका वैज्ञानिक नाम है –
✅ Oryza sativa (ओरायजा सैटिवा)
संस्कृत में चावल को ✅ “तण्डुल”, ✅ “व्रीहि”, और ✅ “षालि” भी कहा जाता है।
क्या आप इसका बॉटनिकल नाम पूछ रहे थे या पुराना भारतीय नाम?
चावल की उत्पत्ति कहाँ हुई थी?
Rice चावल की उत्पत्ति एशिया में हुई थी, विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया को इसका जन्मस्थान माना जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, चावल सबसे पहले चीन में लगभग 10,000 साल पहले उगाया गया था। भारत में भी इसके प्राचीन अवशेष मिले हैं।
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