पश्चिम बंगाल विधानसभा में 4 सितंबर 2025 को अल्पसंख्यक बिल और बंगाली (Bangal) प्रवासियों पर अत्याचार के मुद्दे पर चर्चा के दौरान जबरदस्त हंगामा हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पांच बीजेपी (BJP) विधायकों को निलंबित कर दिया गया। निलंबित विधायकों में बीजेपी के मुख्य सचेतक शंकर घोष, अग्निमित्रा पॉल, अशोक डिंडा, बमकिन घोष और मिहिर गोस्वामी शामिल हैं।
क्या था मामला
यह हंगामा तब शुरू हुआ जब बीजेपी विधायकों ने विपक्ष के नेता सुवendu अधिकारी के 2 सितंबर को निलंबन के खिलाफ नारेबाजी शुरू की, ठीक उसी समय जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक सरकारी प्रस्ताव पर बोलने वाली थीं। हंगामे की शुरुआत तब हुई जब बीजेपी विधायकों ने शिक्षा मंत्री ब्रत्या बसु के एक बयान का विरोध किया, जिसमें उन्होंने कोलकाता के मेयो रोड पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) के मंच को सेना द्वारा हटाए जाने की तुलना 1971 में ढाका में पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई से की थी।
बीजेपी ने बताया सेना का अपमान
सुवेंदु अधिकारी ने इस बयान को सेना का अपमान बताते हुए नारेबाजी शुरू की, जिसके बाद उन्हें 2 सितंबर को निलंबित कर दिया गया। 4 सितंबर को, बीजेपी विधायकों ने इस निलंबन का विरोध करते हुए सदन में नारेबाजी की और ममता बनर्जी के भाषण को बाधित किया। स्पीकर बिमन बनर्जी ने शंकर घोष और अग्निमित्रा पॉल सहित पांच विधायकों को “असंसदीय आचरण” के लिए निलंबित कर दिया। जब घोष ने सदन छोड़ने से इनकार किया, तो मार्शलों को बुलाया गया और उन्हें जबरन बाहर निकाला गया।
ममता ने लगाया वोट चोरी का आरोप
बीजेपी ने आरोप लगाया कि इस दौरान उनके विधायकों पर हमला हुआ और TMC की ओर से पानी की बोतलें फेंकी गईं। दूसरी ओर, ममता बनर्जी ने बीजेपी पर बंगाली प्रवासियों के मुद्दे पर चर्चा से बचने और “भ्रष्टाचार और वोट चोरी” का आरोप लगाया।
उन्होंने बीजेपी को “बंगाली विरोधी” और “औपनिवेशिक मानसिकता” वाला बताया। TMC ने दावा किया कि यह प्रस्ताव बंगाली प्रवासियों पर बीजेपी शासित राज्यों में होने वाले “व्यवस्थित उत्पीड़न” को उजागर करने के लिए था। वहीं, बीजेपी ने इसे राजनीतिक स्टंट करार दिया। इस घटना ने TMC और बीजेपी के बीच पहले से चली आ रही तनातनी को और बढ़ा दिया है, जिससे विधानसभा में तनावपूर्ण माहौल बना रहा।
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