Russia-अमेरिका के बीच नहीं बनी सहमति, यूक्रेन में जंग जारी, हालात अब भी गंभीर
यूक्रेन और Russia के बीच जारी युद्ध को अब दो साल से अधिक समय हो चुका है। लाखों लोगों की जान जा चुकी है, करोड़ों विस्थापित हो चुके हैं और पूरी दुनिया इस युद्ध के प्रभावों को झेल रही है – चाहे वह ऊर्जा संकट हो या वैश्विक महंगाई।इस बीच Russia और अमेरिका के बीच युद्ध समाप्त करने को लेकर हाल ही में हुई राजनयिक बातचीत भी विफल हो गई है। उम्मीद थी कि दोनों देश कुछ ठोस प्रस्तावों पर सहमत होंगे, लेकिन बातचीत एक बार फिर बिना नतीजे समाप्त हो गई।
Russia की मांगें और रुख
Russia लगातार यह मांग करता रहा है कि यूक्रेन नाटो (NATO) का सदस्य नहीं बनेगा, और उसे सैन्य तटस्थता बनाए रखनी होगी। साथ ही, वह उन क्षेत्रों की मान्यता चाहता है जिन्हें उसने कब्जे में लिया है — जैसे कि क्राइमिया, डोनेट्स्क और लुहान्स्क।व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में एक बयान में कहा कि “अगर पश्चिम वास्तव में शांति चाहता है, तो उसे यूक्रेन को हथियार देना बंद करना होगा।”

अमेरिका का नजरिया
अमेरिका का कहना है कि रूस की मांगें असंगत और आक्रामक हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, “हम शांति चाहते हैं, लेकिन वह यूक्रेन की स्वतंत्रता और संप्रभुता की कीमत पर नहीं हो सकती।” अमेरिका यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य मदद जारी रखने पर अडिग है।व्हाइट हाउस की एक रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका का रुख तब तक नहीं बदलेगा जब तक रूस युद्ध रोकने के स्पष्ट संकेत नहीं देता।
जमीनी हालात: अब भी जारी हैं हमले
जहां एक ओर कूटनीति में गतिरोध है, वहीं यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों में लड़ाई और भी तेज हो गई है। रूस ने ड्रोन और मिसाइल हमलों की संख्या बढ़ा दी है, जबकि यूक्रेन भी जवाबी कार्रवाई कर रहा है।यूक्रेन की सेना के अनुसार, बीते सप्ताह में Russia ने 300 से अधिक हमले किए हैं, जिनमें कई आम नागरिक मारे गए।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
यूरोपीय यूनियन और नाटो देशों ने अमेरिका का समर्थन किया है और रूस पर अधिक आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात कही है। वहीं, चीन और भारत जैसे देश संवाद और शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दे रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने इस युद्ध को “मानवता पर धब्बा” बताया और दोनों पक्षों से तुरंत युद्धविराम की अपील की।

असर दुनिया पर
यूक्रेन युद्ध का असर केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। तेल और गैस की कीमतों में अस्थिरता, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मंदी, अनाज संकट, और शरणार्थी समस्या अब भी गंभीर बनी हुई हैं।विशेष रूप से यूरोप और अफ्रीका में खाद्य संकट गहराया है क्योंकि यूक्रेन से अनाज का निर्यात रुक गया है।
आगे क्या?
Russia और अमेरिका के बीच जो बातचीत हुई, वह एक संकेत है कि दोनों देश समाधान की तलाश में हैं, लेकिन आपसी विश्वास की भारी कमी है। जब तक ठोस समझौते की दिशा में काम नहीं होता, युद्ध जारी रहना तय है।विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 तक भी अगर यही हालात बने रहे, तो यह युद्ध तीसरे विश्व युद्ध की आहट बन सकता है।