SAARC : पाकिस्तानी मंत्री ने 13 साल बाद ऐसा क्या किया जिससे बढ़ सकती है भारत की चिंता

By Vinay | Updated: August 25, 2025 • 1:11 PM

ढाका, 25 अगस्त 2025: पाकिस्तान (Pakistan) के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने 13 साल बाद बांग्लादेश (Bangladesh) का दौरा किया, जो दोनों देशों के बीच संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

डार, जो 23-24 अगस्त को ढाका में थे, ने बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस से मुलाकात की और क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) को पुनर्जनन देने, व्यापार बढ़ाने, और युवा संपर्क को मजबूत करने पर चर्चा की। हालांकि, इस दौरे को कुछ लोग भारत के खिलाफ रणनीति के रूप में देख रहे हैं, जिसने क्षेत्रीय भू-राजनीति में चिंता पैदा की है

दौरे का उद्देश्य और संदर्भ

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संबंध 1971 के युद्ध के बाद से तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन पिछले साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार देखा गया है। डार का यह दौरा, जो 2012 के बाद किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री का पहला बांग्लादेश दौरा है, इसे दोनों देशों के बीच “पुराने संबंधों को पुनर्जनन” और “भाईचारे” को बढ़ावा देने के रूप में देखा जा रहा है।

डार ने ढाका में यूनुस के साथ मुलाकात में सार्क को पुनर्जनन देने पर जोर दिया। यूनुस ने कहा, “मैं सार्क को प्रोत्साहित करता हूँ, और मैं पाकिस्तान और अन्य सार्क देशों के साथ हमारे संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में देखता हूँ।” दोनों नेताओं ने व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और युवा संपर्क को बढ़ाने पर सहमति जताई।

भारत विरोधी मोर्चा?

इस दौरे को कुछ हलकों में भारत के खिलाफ एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब बांग्लादेश और भारत के बीच संबंध शेख हसीना के भारत में शरण लेने के बाद तनावपूर्ण हो गए हैं। विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर भारत के क्षेत्रीय प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है। माइकल कुजेलमैन जैसे विशेषज्ञों ने उल्लेख किया कि हसीना के पतन ने भारत के लिए रणनीतिक नुकसान पैदा किया है, और पाकिस्तान इसका फायदा उठाने की कोशिश कर सकता है।

हालांकि, बांग्लादेश के अंतरिम विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने डार के उस दावे से असहमति जताई कि दोनों देशों के बीच सभी लंबित द्विपक्षीय मुद्दे सुलझ गए हैं। उन्होंने कहा कि 1971 से संबंधित कुछ संवेदनशील मुद्दों पर अभी भी चर्चा की जरूरत है।

प्रमुख परिणाम

छह समझौते: दोनों देशों ने व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, विदेश सेवा अकादमियों, और समाचार एजेंसियों के बीच सहयोग सहित छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए। एक समझौता आधिकारिक और राजनयिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा प्रदान करता है।
पाकिस्तान-बांग्लादेश नॉलेज कॉरिडोर: पाकिस्तान ने अगले पांच वर्षों में बांग्लादेशी छात्रों के लिए 500 छात्रवृत्तियाँ प्रदान करने की घोषणा की, जिनमें से 25% चिकित्सा के क्षेत्र में होंगी। इसके अलावा, 100 बांग्लादेशी सिविल सेवकों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जाएगी।
सार्क पर जोर: डार और यूनुस दोनों ने सार्क को क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में पुनर्जनन देने की आवश्यकता पर बल दिया। डार ने कहा, “दक्षिण एशिया, जो विश्व की लगभग एक-चौथाई आबादी का घर है, क्षेत्रीय सहयोग में पीछे नहीं रह सकता।

राजनीतिक मुलाकातें: डार ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की नेता खालिदा जिया, जमात-ए-इस्लामी के नेता शफीकुर रहमान, और नवगठित नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के नेताओं से भी मुलाकात की, जो यूनुस के समर्थन से बनी है।

भारत की चिंताएँ

भारत इस दौरे को बारीकी से देख रहा है, खासकर क्योंकि बांग्लादेश में हाल के महीनों में भारत विरोधी बयान बढ़े हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान बांग्लादेश का उपयोग भारत के खिलाफ गतिविधियों के लिए कर सकता है, जैसा कि पहले भी देखा गया है। X पर कुछ पोस्ट्स में भी इस दौरे को भारत के लिए एक रणनीतिक झटके के रूप में देखा गया, हालांकि ये दावे पूरी तरह से पुष्ट नहीं हैं।

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