उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सिकंदरा स्थित सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी की दरगाह पर महाराजा सुहेलदेव सुरक्षा सम्मान मंच के कार्यकर्ताओं ने रामनवमी के दिन भगवा झंडा फहरा दिया. इसके बाद से वहाँ तनाव का माहौल है, हालाँकि पुलिस का कहना है कि स्थिति शांतिपूर्ण है.

छस्थिति नियंत्रण में ःडीसीपी
इस घटना के बाद प्रयागराज में गंगानगर के डीसीपी कुलदीप सिंह गुनावत ने बताया, “सिकंदरा स्थित इस दरगाह में पाँच मज़ारें हैं, जहाँ पर दोनों धर्मों के लोग जाते हैं. यहाँ कुछ युवकों ने धार्मिक झंडा लहराकर नारेबाज़ी की. इनको मौक़े पर मौजूद पुलिस ने रोका. इस घटना की जाँच की जा रही है.” इस मामले में महाराजा सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच के अध्यक्ष मनेंद्र प्रताप सिंह को हिरासत में लिया गया है

रविवार को महाराजा सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच के अध्यक्ष मनेंद्र प्रताप सिंह की अगुवाई में भगवा झंडा लेकर क़रीब दो दर्जन से ज़्यादा बाइक सवार कार्यकर्ता दरगाह पर पहुँचे. . कुछ कार्यकर्ता दरगाह के गेट के ऊपर चढ़ गए, जिन्हें बाद में पुलिस ने हटाया. इस घटना की ख़बर के बाद एसीपी फूलपुर पंकज लवानिया और थाना बहरिया के एसओ महेश मिश्रा फ़ोर्स के साथ मौक़े पर पहुँचे. पुलिस ने क़स्बे में फ़्लैग मार्च किया और शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की.

दरगाह पर चढ़कर झंडा फहराना ग़लत
दरगाह मेला कमेटी के अध्यक्ष सफ़दर जावेद ने पत्रकारों से कहा कि दरगाह पर चढ़कर झंडा फहराना ग़लत है. उन्होंने बताया, “पुलिस मामले की जाँच कर रही है. प्रशासन जो कार्रवाई करेगा, उसमें मेरा सहयोग रहेगा.” समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को इस घटना पर कहा था, “कार्रवाई इसलिए नहीं हो रही है, क्योंकि दरगाह पर चढ़ने वाला मुख्यमंत्री जी की बिरादरी का है.
महाराजा सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच के अध्यक्ष मनेंद्र प्रताप सिंह ने इससे पहले कहा था, “हम लोगों ने रामनवमी पर शोभा यात्रा निकाली थी. जैसा कि हम लोग पहले से आंदोलनरत हैं. सिकंदरा में जो ग़ाज़ी मियाँ का मेला लगता है, उसको हम लोग बंद करवाना चाहते हैं. मज़ार भी अवैध है. हम लोग इसे हटवाना चाहते हैं. हम लोगों ने भगवा ध्वज फहरा कर विरोध दर्ज किया है.” उनका दावा है कि इस परिसर में हिंदू देवी-देवता भी मौजूद हैं, जहाँ 95 फ़ीसदी हिंदू जाते हैं.

क्या मुख्यमंत्री का समर्थन मिल रहा है
हालाँकि, इस दरगाह पर मेला लगने को लेकर विवाद पिछले महीने मार्च में शुरू हुआ था. स्थानीय लोगों के मुताबिक़, विवाद 23 मार्च को शुरू हुआ था, जब दरगाह पर मेला कमेटी के अध्यक्ष सफ़दर जावेद ने प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद ताला लगा दिया था.
बाद में मेला कमेटी की तरफ़ से सफ़दर जावेद ने बयान जारी कर बताया था कि मरम्मत के काम की वजह से ताला लगाया गया है. इसके बाद अगले दिन 24 मार्च को ताला खोल दिया गया. 30 मार्च को मेले वाले दिन फिर बैरिकेडिंग कर दी गई. प्रशासन ने वहाँ मेला नहीं लगने दिया था. इससे पहले संभल पुलिस ने ग़ाज़ी मियाँ की याद में नेज़ा मेला नहीं लगने दिया था.
जेठ के महीने में आयोजित होता है मेला
हिंदू कैलेंडर के अनुसार जेठ के महीने में मेला आयोजित होता है और लगभग एक महीने तक चलता है.” स्थानीय लोग उन्हें “बाले मियाँ” के नाम से भी जानते हैं और श्रद्धालु उनकी दरगाह पर झंडा चढ़ाते हैं. जो लोग वहाँ जाते हैं, उनमें से कुछ ने वहाँ से एक ईंट लेकर अपने गाँव में भी मेला लगवाना शुरू कर दिया. इस तरह क़रीब 1900 जगहों पर सैयद साहब के नाम का मेला लगता है.” बहराइच ज़िला प्रशासन की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक़ यह इलाक़ा ‘भर’ घराने की राजधानी हुआ करता था.
बे समय से राजनीति होती रही है सालार मसूद ग़ाज़ी के नाम पर
सालार मसूद ग़ाज़ी के नाम पर लंबे समय से राजनीति होती रही है. बीजेपी और कुछ अन्य पार्टियाँ राजा सुहेलदेव को नायक बताती रही हैं. ओमप्रकाश राजभर ने राजा सुहेलदेव के नाम पर अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई है। बीजेपी ने भी सुहेलदेव को काफ़ी अहमियत दी है.
वर्ष 2021 में राजा सुहेलदेव के स्मारक की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी. उत्तर प्रदेश में बीजेपी की नज़र राजभर समाज के वोटों पर रही है, जो सुहेलदेव को अपना पूर्वज मानता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 20 मार्च को बहराइच में कहा था कि बहराइच वही ऐतिहासिक भूमि है, जहाँ एक विदेशी आक्रांता को धूल-धूसरित करते हुए महाराजा सुहेलदेव ने विश्व पताका लहराई थी
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