Sanjauli Masjid Case: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली मस्जिद विवाद में सोमवार को जिला अदालत ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया।
अदालत ने देवभूमि युद्ध समिति को केस में पक्षकार बनने से इनकार कर दिया है। साथ ही नगर निगम आयुक्त के तोड़फोड़ आदेश पर स्टे (Stay) लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया है।
इससे पहले नगर निगम कोर्ट ने 3 मई 2025 को संजौली मस्जिद को पूरी तरह अवैध करार देकर गिराने के हिदायत दिए थे। इसके विरुद्ध वक्फ बोर्ड ने जिला न्यायालय में याचिका दायर की थी।
अदालत ने वक्फ बोर्ड से मांगे दस्तावेज
Sanjauli Masjid Case: वक्फ बोर्ड को मस्जिद की जमीन पर मालिकाना हक साबित करने के लिए कागजात और नक्शा न्यायालय में पेश करना था।
लेकिन सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड के वकील पुख्ता दस्तावेज पेश नहीं कर सके, जिससे न्यायालय में उनका पक्ष कमजोर साबित हुआ। अब न्यायालय रिकॉर्ड की समीक्षा के बाद अगली सुनवाई में फैसला सुनाएगी।

संजौली मस्जिद विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद 29 अगस्त 2024 को शिमला के मल्याणा में दो गुटों की झड़प से आरंभ हुआ था। इसके बाद 1 सितंबर 2024 को संजौली मस्जिद के बाहर हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया, जिससे मामला उग्र हो गया। 5 अक्टूबर 2024 को नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने मस्जिद की तीन मंज़िलें गिराने का हुक्म दिया था।
अब तक की कार्रवाई बेहद धीमी
नगर निगम द्वारा अब तक केवल मस्जिद की छत और कुछ दीवारें ही हटाई गई हैं, जबकि तीसरी और चौथी मंजिलें अब भी खड़ी हैं। इस धीमी कार्रवाई पर प्रशासन की भूमिका पर भी पूछताछ उठ रहे हैं।
अगली सुनवाई 29 मई को, टकराव की आशंका
अब इस केस की अगली सुनवाई 29 मई 2025 को होगी। फिलहाल न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि किसी भी पक्ष द्वारा यथास्थिति को बदलने की अनुमति नहीं है। प्रदेश में तनाव की आशंका को देखते हुए प्रशासन भी सतर्क है।