Telangana: कलेश्वरम त्रिवेणी संगम में सरस्वती पुष्करालु आरंभ

By Madhavi
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सरस्वती पुष्करालु

सरस्वती पुष्करालु: कलेश्वरम त्रिवेणी संगम जहाँ गोदावरी, प्राणहिता और सरस्वती नदियाँ मिलती हैं — वहां 15 मई से 26 मई तक सरस्वती पुष्करालु का आयोजन हो रहा है। ये पुष्कर तेलंगाना (Telangana) की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।

सीएम रेवंत रेड्डी ने किया सरस्वती घाट का उद्घाटन

सरस्वती पुष्करालु के अवसर पर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने 15 मई की संध्या कलेश्वरम में नव-निर्मित ज्ञान सरस्वती घाट और 86 कमरों वाले कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया। घाट पर लगी सरस्वती देवी की भव्य मूर्ति तमिलनाडु के महाबलीपुरम से लाई गई है।

भक्तों के लिए विशेष इंतज़ाम

  • 50 टेंट की टेंट सिटी साधारण भक्तों को ठहरने के लिए तत्पर की गई है।
  • प्रत्येक दिन 8:30 से 11:00 बजे तक यज्ञ-हवन की व्यवस्था की गई है।
  • सायम् 6:45 से 7:35 बजे तक सरस्वती पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं।
  • तेलंगाना RTC ने पुष्कर यात्रियों के लिए विशेष बस सेवाएं आरंभ की हैं।
सरस्वती पुष्करालु

लाखों भक्त कर रहे हैं संगम स्नान

तेलंगाना के साथ-साथ महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु से लाखों भक्त इस पवित्र संगम में स्नान के लिए पहुँच रहे हैं। प्रशासन ने पेयजल, पार्किंग, टेंट और स्वच्छता की विशेष व्यवस्था की है।

सरस्वती नदी का पौराणिक महत्व

सरस्वती नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में है, जिसे हिन्दुस्तान का अंतिम गांव कहा जाता है। दक्षिण हिन्दुस्तान में सरस्वती पुष्करालु सिर्फ़ कलेश्वरम में आयोजित होते हैं, जो इसे और भी विशिष्ट बनाता है।

2027 में फिर होंगे गोदावरी और सरस्वती पुष्करालु

पिछली बार ये पुष्कर 2023 में हुए थे। अगली बार 2027 में गोदावरी और सरस्वती पुष्कर एक साथ होंगे। फिलहाल 2025 के इस आयोजन को भक्तों और राज्य सरकार दोनों ने विशेष महत्व दिया है।

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