रियाद,। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Sahbaz Shariff) और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Mohmmad Bin Salman) ने एक आपसी रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, इस समझौते को नाटो की तर्ज पर बनाया गया बताया जा रहा है।
हमले की स्थिति में साझा सुरक्षा
इस समझौते के तहत, किसी भी एक देश पर होने वाला हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस समझौते का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों तक पहुँच हासिल कर ली है। यह कई वर्षों से सऊदी अरब (Saudi Arabia) की एक बड़ी इच्छा थी। अब, ऐसा माना जा रहा है कि सऊदी अरब ने अपनी खुद की परमाणु क्षमता विकसित किए बिना ही पाकिस्तान से परमाणु छतरी किराए पर ले ली है।
सऊदी ने फंड किया था पाक का परमाणु कार्यक्रम
1971 के युद्ध में भारत से हार के बाद, पाकिस्तान ने परमाणु बम बनाने का फैसला किया। सऊदी अरब ने परमाणु कार्यक्रम को फंड दिया, क्योंकि सऊदी को ईरान और इराक जैसे देशों से खतरा था और इसलिए उसे एक मजबूत सुन्नी सहयोगी की आवश्यकता थी।
1970 के दशक में, जब पाकिस्तानी वैज्ञानिक अब्दुल कदीर खान ने परमाणु बम कार्यक्रम शुरू किया, तब सऊदी अरब ने इसके लिए पैसा दिया। लेकिन इस दौरान एक गोपनीय समझौता हुआ था कि अगर सऊदी अरब को कभी खतरा हुआ, तब पाकिस्तान अपने परमाणु हथियार साझा करेगा।
अमेरिका पर निर्भरता कम करना चाहता सऊदी
मध्य पूर्व में हाल के घटनाक्रमों, विशेष रूप से कतर पर इज़रायली हमले के बाद, सऊदी अरब अब सिर्फ अमेरिकी सुरक्षा पर निर्भर नहीं रहना चाहता। यह समझौता सऊदी अरब को अपने दुश्मनों को कड़ी चेतावनी देने की शक्ति देता है, बिना खुद के परमाणु हथियार विकसित करने की परेशानी के।
सऊदी को मिला परमाणु निवारक
सऊदी अरब को बिना परमाणु बम बनाए ही एक परमाणु निवारक मिल गया है। यह सऊदी को संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षणों और अन्य घरेलू विवादों से बचाता है
पाकिस्तान को मिलेगी आर्थिक मदद
इस समझौते से पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलने की उम्मीद है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान को अपनी 100 अरब डालर की ऋण समस्या को कम करने के लिए 5-10 अरब डालर के नए सौदे मिल सकते हैं। यह सऊदी अरब के लिए पाकिस्तान पर नियंत्रण बनाए रखने का भी एक तरीका है।
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