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Sawan Vastu Tips: घर से जरूर हटा दें ये चीजें तभी होगा शिव का वास

Kshama Singh
Kshama Singh
Sawan Vastu Tips: घर से जरूर हटा दें ये चीजें तभी होगा शिव का वास

भगवान शिव की पूजा से घर में होता है नई ऊर्जा का संचार

सावन का महीना शुरू होने में अब कुछ ही दिन बाकी बचे हैं। इस बार 11 जुलाई से सावन (Sawan) का महीना शुरू होगा। ऐसे में आपको भी इसकी तैयारी शुरूकर देनी चाहिए। सबसे पहले तो घर के सभी दिशाओं की साफ-सफाई शुरूकर देना चाहिए। अपने घर से फालतू का सामान हटा दें। श्रावण माह भगवान शिव को समर्पित होता है। ऐसे में घर में भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करने से घर में नई ऊर्जा का संचार होता है। वहीं अगर आपके घर में फालतू का सामान रखा होगा, तो इस ऊर्जा के प्रवाह में बाधा पैदा होती है। इसलिए जरूरी है कि सावन महीने की शुरूआत होते ही अपने घर की साफ-सफाई कर लें और फालतू या फिर पुरानी या टूटी हो चुकी चीजों को हटाकर बाहर कर दें।

पुरानी या टूटी झाड़ू

झाड़ू को धन की देवी मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। घर में पुरानी या फिर टूटी झाड़ू रखने से रोग और दरिद्रता आती है। नौकरी में रुकावट, धन का अपव्यय और व्यापार में भी घाटा होता है। ऐसे में शनिवार और अमावस्या को झाड़ू बदलना चाहिए। नई झाड़ू को गुप्त स्थान पर रखना चाहिए और पैर न लगने दें।

एक्सपायर्ड दवाइयां और खराब खाद्य सामग्री

घर रखी पुरानी, बेकार और सड़ा-गला अनाज रोग, कलह और मानसिक थकावट पैदा करता है। साथ ही यह घर की समृद्धि को भी नष्ट करा है। इसके साथ ही दवा बॉक्स और रसोईघर की साफ-सफाई करें और पुराने मसाले, आटा और तेल आदि हटाकर ताजे खाद्य पदार्थों को रखें।

शिव

फटे-पुराने कपड़े और भगवान के पुराने वस्‍त्र

फटे-पुराने कपड़े पहनने से आत्मबल में कमी आती है और निगेटिविटी बढ़ती है। विशेषकर पूजा के स्थान पर पुराने या गंदे कपड़े उपयोग करने से वहां की ऊर्जा बाधित होती है। वहीं भगवान के पुराने कपड़ों को भी पूजाघर से हटा देना चाहिए। इन कपड़ों का या तो दान कर दें या फिर उचित रूप से नष्ट करें। वहीं नए-स्वच्छ वस्त्र पहनकर शिव पूजा करने से धन और यश की प्राप्ति होती है।

सूखे, मुरझाए या कांटेदार पौधे

सूखे या मुरझाए हुए पौधे घर में लगाने से निगेटिव एनर्जी बढ़ती है। वास्तु के मुताबिक यह पौधे जीवन ऊर्जा को बाधित करते हैं। खासकर तुलसी का पौधा यदि सूख जाए, तो इसको फौरन हटा देना चाहिए। आपको सूखे, मुरझाए या कांटेदार पौधों की जगह मनी प्लांट, तुलसी और एलोवेरा आदि के पौधे लगाने चाहिए। यह पौधे लगाने से व्यापार और नौकरी में प्रगति का मार्ग खोलते हैं।

टूटी-फूटी और खंडित मूर्तियां

कभी भी घर में चटका हुआ बर्तन, टूटा हुआ शीशा, टूटी-फूटी मूर्ति या फिर टूटा फ्रेम नहीं रखना चाहिए। यह आर्थिक, मानसिक तनाव और रिश्तों में दरार लाता है और वास्तु दोष बढ़ता है। इस तरह की चीजें होने से लक्ष्मी जी का वास बाधित होता है। इसलिए टूटी हुई मूर्तियों को मिट्टी या फिर नदी में विसर्जित कर देना चाहिए। वहीं फूटे बर्तन और टूटा शीशा फौरन बदल देना चाहिए। इससे धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।

पुराने, खराब और बंद इलेक्ट्रॉनिक सामान

यदि आपके घर में कोई इलेक्ट्रॉनिक सामना जैसे मिक्सर, टीवी, मोबाइल या घड़ी आदि कोई सामान खराब है, तो यह आपकी एनर्जी, समय और धन को अवरुद्ध करती हैं। या तो इन चीजों को ठीक करवा लें, या फिर इनको घर से हटा दें। इससे आपके करियर में पॉजिटिव बदलाव आएगा।

बंद या गलत समय दिखाने वाली घड़ी

बता दें कि रुकी हुई या गलत समय बताने वाली घड़ियां जीवन की प्रगति को रोकती हैं। यह आमदनी की गति, नए अवसर और नौकरी में प्रमोशन को धीमा करती है। बंद घड़ियों को या तो सही करवा लें या फिर हटा दें। वहीं शुभ समय पर घड़ी लगाने से जीवन में समय का संतुलन बना रहता है।

नकारात्मक या हिंसक चित्र

कई घरों में रोते हुए बच्चों के चित्र, युद्ध के दृश्य, तलवारों या शेर-बाघ की मूर्तियां देखने को मिलती हैं, जोकि हिंसात्मक ऊर्जा को जन्म देती हैं। यह नकारात्मक या हिंसक चित्र करियर और वैवाहिक जीवन में संघर्ष का कारण बनते हैं। इनकी जगह प्रेमपूर्ण चित्र जैसे शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण या प्राकृतिक दृश्य लगाएं। इससे घर परिवार में शांति और समृद्धि आती है।

सावन महीने का इतिहास क्या है?

सावन को “श्रावण” कहा जाता है, क्योंकि इस माह की पूर्णिमा के समय श्रवण नक्षत्र आकाश में होता है। संस्कृत शब्द “श्रवण” का अर्थ है सुनना, इसलिए यह महीना भगवान शिव के मंत्रों और स्तुति को सुनने और जपने के लिए श्रेष्ठ माना गया।

समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकला, जिससे संसार के प्राणियों का विनाश होने लगा। देवताओं और दानवों ने भगवान शिव से प्रार्थना की। शिव जी ने करुणावश उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका गला नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए। यह घटना श्रावण मास में ही हुई थी। तभी से श्रावण महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने की परंपरा शुरू हुई ताकि उनके विष के प्रभाव को शांत किया जा सके।

सावन का क्या अर्थ है?

यह हिंदू पंचांग का पाँचवाँ महीना है, जो जुलाई-अगस्त के बीच आता है। इस समय आकाश में श्रवण नक्षत्र का प्रभाव रहता है, इसलिए इसका नाम श्रावण (सावन) पड़ा। श्रवण” का अर्थ है सुनना, क्योंकि यह माह भक्ति, मंत्र जप और कथाओं को सुनने के लिए उत्तम माना गया।

ऋतु का अर्थ: यह वर्षा ऋतु का महीना है। चारों ओर हरियाली, नदियों में पानी और शीतल वातावरण का आगमन होता है।किसानों के लिए यह महीने खुशहाली का प्रतीक है क्योंकि बारिश उनके खेतों को जीवन देती है।

आध्यात्मिक अर्थ: सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है। इस महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाना, बेलपत्र अर्पित करना और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना विशेष फलदायी माना गया है।

सावन की शुरुआत और अंत कब हुआ?

सावन (श्रावण मास) हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार आता है और इसकी शुरुआत व अंत की तारीखें हर साल बदलती हैं क्योंकि ये चंद्र मास (लुनर कैलेंडर) पर आधारित है।

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