सुप्रीम कोर्ट (उच्चतम न्यायालय) ने कहा है कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम-2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सही समय पर सुनवाई करेगा। यह बात तब कही गई जब वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और ए.एम. सिंघवी ने कोर्ट से जल्दी सुनवाई की अपील की थी।
पृष्ठभूमि:
- संसद में यह कानून पास हो चुका है और 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इसे मंजूरी दे दी।
- इस कानून को पहले ही कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
कौन-कौन याचिकाकर्ता हैं?
- कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद
- AIMIM प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी
- आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान
- साथ ही, कई संगठनों ने भी याचिकाएं लगाई हैं, जैसे:
- एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स
- जमीयत उलमा-ए-हिंद
- समस्त केरल जमीयतुल उलमा
याचिकाकर्ताओं का कहना है:
- यह कानून मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को खत्म करने की साजिश है।
- इससे वक्फ की धार्मिक प्रकृति और प्रशासन में लोकतंत्र को नुकसान पहुंचेगा।
- उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि इस कानून को असंवैधानिक घोषित किया जाए।
- इसके अलावा, केंद्र सरकार और कानून मंत्रालय को इसे लागू करने से रोकने का आदेश देने की भी मांग की गई है।
नया कानून क्या है?
नया कानून है – एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 2025।
यह कानून पुराने वक्फ अधिनियम, 1995 की जगह ले रहा है।