अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (World Trade Centre) पर हुए हमला कर ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden) ने पूरी दुनिया को सहमा कर रख दिया था। हालांकि बाद में अमेरिका की एक सैन्य टुकड़ी ने 2 मई 2011 को पाकिस्तान के एबटाबाद के एक घर में लादेन को मौत के घाट उतार दिया था। 40 मिनट तक चले इस ऑपरेशन में अमेरिकी सील कमांडोज (America Seal Commandos) ने अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन का खात्मा किया था। इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तानी सेना के ऊपर दुनिया भर से सवाल उठाए गए कि। हालांकि दुनिया पाकिस्तान की हकीकत जानती है। इसलिए सवाल-जवाब के बाद यह मामला ठंडा पड़ गया।
लादेन की पत्नियों और बच्चों का क्या हुआ?
इसके बाद भी यह सवाल सभी के मन में हैं कि अमेरिका ने ओसामा की तो हत्या कर दी थी, फिर उसके साथ मौजूद उसकी बीवियां और उसके बच्चों का क्या हुआ। अब इसका जवाब पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पूर्व प्रवक्ता फरहतुल्लाह बाबर ने अपनी किताब में दिया है।
बाबर की किताब में खुलासा
रिपोर्ट के मुताबिक “द जरदारी प्रेसीडेंसी; नाउ इट मस्ट बी टोल्ड” नामक किताब में बाबर ने लिखा है कि ओसामा की हत्या के तुरंत बाद ही पाकिस्तानी सेना वहां पहुंची और उन्होंने ओसामा की पत्नियों को हिरासत में ले लिया, लेकिन कुछ समय के बाद ही सीआईए की एक टीम पाकिस्तानी सेना के एबटाबाद छावनी में पहुंची। अमेरिकी एजेंट्स उन महिलाओं से पूछताछ कर रहे थे। इस घटना ने पाकिस्तान की संप्रभुता के समक्ष एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया।
राष्ट्रीय अपमान और अमेरिकी एजेंसियों की भूमिका
बाबर ने लिखा कि इस घटना की वजह से देश को राष्ट्रीय अपमान का सामना करना पड़ा। बकौल बाबर, एक ओर जहां अमेरिका के एजेंट पाकिस्तान में खुलेतौर पर काम कर रहे थे, वहीं पाकिस्तानी सेना और सरकार उनके सामने झुकती नजर आ रही थी। यह घटना पाकिस्तान के लिए विफलता और शर्मिंदगी से भरी हुई थी, लेकिन जो हमारे यहां मिला था उसके बाद कुछ किया भी नहीं जा सकता था।
पहले से थी ओसामा की मौजूदगी की जानकारी
बाबर ने दावा किया कि अमेरिकी एजेंसियों को इस बात की जानकारी बहुत पहले से थी कि ओसामा वहां छिपा है। इतना ही नहीं उन्होंने उस ठेकेदार की भी जानकारी निकाल रखी थी, जिसने ओसामा के लिए वह ठिकाना बनाया था।
पाकिस्तान की बदनामी और अमेरिकी दबाव
किताब के मुताबिक लादेन के पाकिस्तान में मिलने से पूरी दुनिया में इस्लामाबाद बदनामी हुई थी। हमले के बाद तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और सीनेटर जॉन कैरी समेत कई बड़ी अमेरिकी हस्तियां पाकिस्तान पहुंची थीं। इस्लामाबाद की सरकार चाहती थी कि अमेरिका इस बात का आश्वासन दे कि वह आगे ऐसे किसी भी एकतरफा हमले की कोशिश नहीं करेगा, लेकिन अमेरिका ने ऐसा वादा नहीं किया।
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