13-14 जुलाई को आयोजित होगा उज्जैनी महाकाली बोनालु समारोह
हैदराबाद। 13-14 जुलाई को आयोजित होने वाले उज्जैनी महाकाली बोनालु (Ujjaini Mahakali Bonalu) समारोह के लिए कुल 2,500 पुलिस कर्मियों और लगभग 50 उच्च परिभाषा निगरानी कैमरों के साथ व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी। उत्तरी क्षेत्र की डीसीपी रेशमी पेरुमल (DCP Reshmi Perumal) ने कहा कि समन्वय बैठकें पहले ही हो चुकी हैं और शांतिपूर्ण उत्सव के आयोजन के लिए सभी विभागों और मंदिर अधिकारियों से सुझाव लिए गए हैं। डीसीपी ने कहा कि ‘जोगिनों’ को 13 जुलाई को दोपहर 1 बजे से 3 बजे के बीच मंदिर में आना होगा और वे अपनी रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार ‘आरती’ के लिए सीधे बाटा शोरूम की तरफ से आ सकती हैं।
‘बोनम’ लेकर मंदिर आने वाली महिलाओं के लिए दो विशेष कतारें
कुल छह कतारें स्थापित की गई हैं और ‘बोनम’ लेकर मंदिर आने वाली महिलाओं के लिए दो विशेष कतारें होंगी, और ‘बोनम’ के साथ आने वाली महिला के साथ अधिकतम पांच लोगों को अनुमति दी जाएगी। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने तथा चोरी और महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए डॉग स्क्वायड, एंटी-सैबोटेज, शी टीम्स और क्राइम यूनिट्स सहित टीमों को तैनात किया जाएगा। पेरुमल ने कहा, ‘मंदिर के आसपास और उन इलाकों में जहाँ जुलूस निकलेंगे, 40 से ज़्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। महांकाली पुलिस स्टेशन में एक समर्पित नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है, जहाँ विभिन्न विभागों के अधिकारी चौबीसों घंटे उत्सव पर नज़र रखेंगे।’
बोनालू डांस कौन सा राज्य है?
तेलंगाना राज्य का पारंपरिक नृत्य बोनालू डांस है। यह खासकर हैदराबाद, सिकंदराबाद और करीमनगर जैसे क्षेत्रों में किया जाता है। बोनालू एक लोक पर्व है, जो जुलाई-अगस्त में देवी महाकाली को समर्पित होता है। इसमें महिलाएं सिर पर सजाए हुए बर्तन (बोनम) लेकर नृत्य करती हैं।
बोनालू का इतिहास क्या है?
इसका इतिहास बहुत पुराना और दिलचस्प है। यह त्योहार मुख्य रूप से तेलंगाना में देवी महाकाली को समर्पित है। इसका आरंभ 1813 में माना जाता है, जब हैदराबाद और आसपास के इलाके में चेचक (Smallpox) की महामारी फैली थी।
कहा जाता है कि उस समय लोग काली माता से प्रार्थना करने लगे कि वह महामारी को खत्म करें। उन्होंने वादा किया कि अगर महामारी खत्म होगी तो वे देवी को “बोनम” (पके हुए चावल, गुड़, दूध से भरा बर्तन) अर्पित करेंगे। महामारी के समाप्त होने के बाद, लोग सिर पर रंग-बिरंगे बर्तन लेकर, सज-धजकर काली माता के मंदिरों में गए और बोनम चढ़ाया।
तब से हर साल आषाढ़ मास (जुलाई-अगस्त) में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सिर पर बोनम रखकर देवी के गीतों और ढोल नगाड़ों के साथ नृत्य करती हैं। पुरुष लोग पोट्टू रजु और पेरंटालु के रूप में देवी के साथी बनकर जुलूस निकालते हैं।
बोनालू नृत्य क्या है?
तेलंगाना राज्य का एक पारंपरिक लोक नृत्य बोनालू नृत्य है, जो देवी महाकाली को समर्पित होता है। यह खासतौर पर हैदराबाद, सिकंदराबाद और करीमनगर में आषाढ़ मास (जुलाई-अगस्त) में मनाए जाने वाले बोनालू त्योहार का हिस्सा है।
इस नृत्य में महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर सिर पर सजाए हुए बोनम (चावल, दूध, गुड़ और हल्दी से भरे रंगीन बर्तन) रखती हैं। वे ढोल-नगाड़ों की धुन पर देवी के गीत गाते हुए और थिरकते हुए मंदिरों तक जाती हैं। यह नृत्य श्रद्धा और उत्साह का प्रतीक है।
पुरुष भी जुलूस में भाग लेते हैं और कभी-कभी पोट्टू रजु के रूप में देवी के रक्षक का अभिनय करते हैं। बोनालू नृत्य में देवी के प्रति आभार, शक्ति और सामूहिक उल्लास झलकता है।
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