मॉस्को,। रूस ने संकेत दिए हैं कि वह ब्रह्मोस को अपनी सेना में शामिल कर सकता है। शुरू से ही दावा किया गया है कि दुनिया का कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम (Air Defence System) इसे इंटरसेप्ट नहीं कर सकता। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान इसकी ताकत दिख चुकी है, जिसके बाद रूस की सेना ब्रह्मोस-एनजी को अपने बेड़े में शामिल करने पर विचार कर रही है।
बढ़ती मांग के बीच प्रोडक्शन लाइन का विस्तार
भारत और रूस की संयुक्त कंपनी अब ब्रह्मोस के प्रोडक्शन लाइन (Production Line) को तेजी से विस्तार दे रही है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई देशों ने इस मिसाइल को खरीदने में रुचि दिखाई है। इसी को देखते हुए ब्रह्मोस एयरोस्पेस अब ज्यादा संख्या में मिसाइल बनाने की योजना पर काम कर रहा है, ताकि उत्पादन लागत कम हो और अधिक देशों को आपूर्ति की जा सके।
अब तक सिर्फ 1000 यूनिट का निर्माण
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रह्मोस मिसाइल बनाने में काफी खर्च आता है। पिछले 25 सालों में सिर्फ 1000 यूनिट ही तैयार किए गए हैं यानी औसतन सालाना 25 यूनिट। यही वजह है कि इसका प्रोडक्शन काफी महंगा रहा है। लेकिन बढ़ती डिमांड को देखते हुए भारत और रूस ने उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है। रूस अपने पास जमा भारतीय रुपये का इस्तेमाल भी इस प्रोजेक्ट में कर सकता है।
भारत की रणनीति हुई अटैकिंग
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की डिफेंस स्ट्रैटजी में बदलाव का संकेत है। पहले की तुलना में अब भारत केवल डिफेंसिव नहीं बल्कि अटैकिंग स्ट्रैटजी पर जोर दे रहा है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के डिप्टी सीईओ ने भी संकेत दिया कि रूस अपनी सेनाओं के लिए ब्रह्मोस खरीद सकता है। दोनों पक्ष मिलकर लागत कम करने और अधिक ऑर्डर पूरे करने पर काम कर रहे हैं।
नेक्स्ट जनरेशन ब्रह्मोस-एनजी
भारत की नई रणनीति का प्रतीक ब्रह्मोस-एनजी है, जो मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल से हल्का और ज्यादा तेज होगा। अभी की ब्रह्मोस मिसाइल का वजन 3000 किलो है, जबकि एयरफोर्स वैरिएंट का वजन 2500 किलो है। इसके मुकाबले ब्रह्मोस-एनजी का वजन मात्र 1250 किलो होगा, जिसे एमआईजी-29 और एलसीए तेजस एमके-1ए जैसे हल्के लड़ाकू विमानों से भी लॉन्च किया जा सकेगा।
2026 में होगा फ्लाइट टेस्ट
रिटायर्ड जगुआर पायलटों के अनुसार, 2026 में ब्रह्मोस-एनजी का ऑटोनॉमस फ्लाइट टेस्ट शुरू हो सकता है। यह मिसाइल भारतीय वायुसेना के लिए क्रांतिकारी साबित होगी क्योंकि छोटे प्लेटफॉर्म से भी 300 किमी दूर तक सटीक और तेज वार किया जा सकेगा। एईएसए रडार से लैस तेजस जैसे विमान तुरंत दुश्मन की पहचान कर घातक हमला करने में सक्षम होंगे।
ब्रह्मोस मिसाईल का निर्माता कौन है?
इस मिसाइल का निर्माण भारत और रूस के संयुक्त सैन्य उपक्रम ने किया है।
भारत में कितनी ब्रह्मोस मिसाइलें हैं?
अक्टूबर 2020 में, एक भारतीय रक्षा प्रकाशन ने एक चीनी दावे का हवाला देते हुए बताया कि इस बहुप्रशंसित हथियार ब्रह्मोस की संख्या 14,000 थी। यह रिपोर्ट लद्दाख में चीन-भारत सीमा गतिरोध के कुछ महीनों बाद आई थी, जहां नई दिल्ली ने कथित तौर पर ब्रह्मोस मिसाइलों को तैनात किया था।
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