मुंबई आतंकवादी हमले के मामले में आरोपी तहव्वुर राणा को भारत अमेरिका से सफलतापूर्वक प्रत्यर्पित करवा पाने में दयान कृषणन की अहमभूमिका रही है। अब दिल्ली की विशेष अदालत में उसके खिलाफ सुनवाई होने वाली है। इस पूरे मामले में वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन का नाम प्रमुख रूप से सामने आ रहा है। अमेरिका की अदालत में भारत की ओर से पक्ष रखते हुए उन्होंने कानूनी लड़ाई में अहम भूमिका निभाई। अब वह भारत में भी एनआईए (NIA) की तरफ से अदालत में दलीलें पेश करेंगे।
दयान कृष्णन सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वरिष्ठ वकीलों में से एक हैं। देश के प्रसिद्ध आपराधिक (क्रिमिनल) वकीलों में उनकी गिनती होती है। उन्होंने 1993 में नेशनल लॉ स्कूल से डिग्री हासिल की थी और 1999 से स्वतंत्र रूप से वकालत शुरू की। 2001 में संसद हमले का मामला हो या फिर कावेरी जल विवाद, इन मामलों में उन्होंने पक्ष रखकर पहचान बनाई। साथ ही, 1999 में बनी जस्टिस जे.एस. वर्मा कमीशन को भी उन्होंने सहयोग दिया। 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में वह विशेष सरकारी वकील (स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर) रहे।
अंतरराष्ट्रीय मामलों, खासकर अपराधियों के प्रत्यर्पण से जुड़े मामलों में दयान कृष्णन को काफी अनुभव है। तहव्वुर राणा को भारत लाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह 2010 से मुंबई हमले से जुड़े मामलों में पक्ष रख रहे हैं। डेविड कोलमैन हेडली से शिकागो में पूछताछ करने वाली एनआईए टीम का भी वह हिस्सा रहे। हेडली और राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित करवाने के मामलों में 2014 में उन्हें विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया गया था। इसके अलावा, रवीशंकरन (2011) और रेमंड वार्ली (2012) जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे आरोपियों के प्रत्यर्पण मामलों में भी भारत की ओर से उन्होंने दलीलें पेश की थीं।