उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से शुरू हुआ जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा का मामला अब अंतरराष्ट्रीय साजिश की ओर इशारा कर रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ताजा जांच में छांगुर बाबा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध धर्मांतरण, और विदेशी फंडिंग से जुड़े सनसनीखेज खुलासे सामने आए हैं।
यह मामला अब केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं, बल्कि एक बड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा बन चुका है, जिसमें दुबई, शारजाह, नेपाल, पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों के कनेक्शन उजागर हुए हैं।
40 बैंक खातों में 106 करोड़ रुपये का लेन-देन
ईडी ने छांगुर बाबा और उनके सहयोगियों के 40 से अधिक बैंक खातों की जांच की, जिनमें 106 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि का पता चला। जांच में सामने आया कि पिछले तीन सालों में करीब 500 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग भारत में आई, जिसमें से 300 करोड़ रुपये नेपाल के रास्ते हवाला और अन्य अवैध माध्यमों से ट्रांसफर किए गए।
मध्य पूर्व के देशों, खासकर दुबई, शारजाह और यूएई में पांच विदेशी बैंक खातों के जरिए 50 करोड़ रुपये का लेन-देन भी पकड़ा गया। इन फंड्स का उपयोग कथित तौर पर अवैध धर्मांतरण के लिए किया गया, जिसमें हिंदू लड़कियों और समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बनाया गया।
17 जुलाई को बलरामपुर और मुंबई में छापेमारी
17 जुलाई 2025 को ईडी ने बलरामपुर के 12 और मुंबई के 2 ठिकानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की। इस दौरान छांगुर बाबा के करीबी सहयोगी शहजाद शेख के मोबाइल से क्रोएशियन कुना करेंसी की तस्वीरें मिलीं, जो इस नेटवर्क के अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैलाव का संकेत देती हैं। जांच में हवाला के जरिए पैसे ट्रांसफर करने के सबूत भी मिले, जिससे संदेह गहरा गया कि यह नेटवर्क देश विरोधी गतिविधियों में भी शामिल हो सकता है।
धर्मांतरण का संगठित नेटवर्क
ईडी की जांच में पता चला कि छांगुर बाबा का नेटवर्क संगठित तरीके से धर्मांतरण के काम में लगा था। खासकर उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में कमजोर और गरीब परिवारों को निशाना बनाया गया। बाबा के आश्रमों और अन्य ठिकानों पर आयोजित सभाओं में लोगों को प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया जाता था।
इन गतिविधियों को विदेशी फंडिंग से बल मिल रहा था, जिसका स्रोत दुबई, शारजाह, और नेपाल जैसे देशों से जुड़ा हुआ है। जांच में यह भी सामने आया कि बाबा का नेटवर्क पाकिस्तान और तुर्की के कुछ संगठनों से भी संपर्क में था, जो इस मामले को और गंभीर बनाता है।
यूपी एटीएस और एनआईए भी जांच में शामिल
छांगुर बाबा के मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश एटीएस, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), और खुफिया ब्यूरो भी जांच में शामिल हो गए हैं। इन एजेंसियों को शक है कि इस नेटवर्क का उपयोग न केवल धर्मांतरण, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करने के लिए भी किया जा रहा था। ईडी ने छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, और अन्य सबूत जब्त किए हैं, जिनका विश्लेषण जारी है।
छांगुर बाबा का इतिहास और विवाद
जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा बलरामपुर और आसपास के इलाकों में एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में जाना जाता था। वह अपने आश्रमों और सभाओं के जरिए लोगों को आकर्षित करता था। हालांकि, स्थानीय लोगों ने कई बार उसके खिलाफ शिकायतें दर्ज की थीं, जिसमें जबरन धर्मांतरण और धोखाधड़ी के आरोप शामिल थे। ईडी की जांच ने अब इन शिकायतों को और पुख्ता किया है, जिससे बाबा के काले कारनामों का पर्दाफाश हुआ है।
आगे की कार्रवाई
ईडी अब छांगुर बाबा और उनके सहयोगियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज कर चुकी है। जांच एजेंसी विदेशी बैंकों और हवाला नेटवर्क से जुड़े लेन-देन की और गहराई से जांच कर रही है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर इस नेटवर्क के विदेशी कनेक्शन को भी खंगाला जा रहा है। आने वाले दिनों में इस मामले में और बड़े खुलासे होने की संभावना है।
यह मामला न केवल अवैध फंडिंग और धर्मांतरण की गहरी साजिश को उजागर करता है, बल्कि देश की सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द के लिए भी एक बड़ा खतरा सामने लाता है।
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ईडी का क्या काम होता है?
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) क्या है? आर्थिक अपराध से लड़ना और आर्थिक विनियमन को बनाए रखना प्रवर्तन निदेशालय की ज़िम्मेदारी है, जो भारत में कानून प्रवर्तन और आर्थिक खुफिया दोनों में माहिर है। यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन काम करता है।
ईडी अधिकारी की शक्ति क्या है?
ईडी के पास फेमा के उल्लंघन के दोषी पाए गए अपराधियों की संपत्ति कुर्क करने का अधिकार है। “संपत्तियों की कुर्की” का अर्थ है धन शोधन अधिनियम के अध्याय III के तहत जारी आदेश द्वारा संपत्ति के हस्तांतरण, रूपांतरण, निपटान या आवाजाही पर प्रतिबंध