प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के सुरक्षा बलों की शहादतों को याद करते हुए कहा कि देश ने आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में 80,000 से अधिक जानें गंवाई हैं। शहबाज शरीफ उन्होंने यह भी कहा कि 2018 तक आतंकवाद को लगभग समाप्त कर दिया गया था, शहबाज शरीफ लेकिन पिछले शासन की गलत नीतियों के कारण यह फिर से सिर उठा रहा है। उन्होंने आतंकवाद के स्रोतों और उनके समर्थनकर्ताओं की पहचान करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
एक तरफ भारत है, जो ज़रूरत पड़ने पर दूसरे देशों को भी अनाज पहुंचाता है और दूसरी तरफ पाकिस्तान है, जो अपने ही नागरिकों का पेट नहीं पाल पा रहा है. भारत से अपनी तुलना करने से पहले वहां के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ को ये देख लेना चाहिए कि वो अपने देश में 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को भूखा मार रहे हैं. ये हम नहीं हाल में जारी हुई खाद्य और कृषि संगठन यानि FAO की रिपोर्ट कह रही है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुक्रवार को जारी FAO की 2025 ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसिस के अनुसार ये आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तान में 1.1 करोड़ लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं. इसमें 68 ग्रामीण ज़िले शामिल हैं, जो पाकिस्तान के अशांत इलाकों बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में आते हैं. इस इलाके में आई बाढ़ के बाद करीब 22 प्रतिशत आबादी के भूख से मरने की नौबत है।
भूखा मर रहा है पाकिस्तान
इस रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के 1.7 मिलियन लोग आपातकालीन स्थिति में हैं. 2024 की स्थिति और 2025 की वर्तमान स्थिति के बीच जनसंख्या कवरेज में 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पिछले साल की तुलना में स्थिति में सुधार के बावजूद मौसम का हाल लोगों की आजीविका को प्रभावित करेगा. 2024 के लिए पाकिस्तान में स्थिति 2023 जैसी ही रही. नवंबर 2023 से जनवरी 2024 के बीच 11.8 मिलियन लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे।
सीमाई इलाकों में स्थिति गंभीर
रिपोर्ट कहती है कि 2018 से 2024 की शुरुआत तक बलूचिस्तान और सिंध के क्षेत्रों में पाकिस्तान ने लगातार उच्च स्तर के गंभीर कुपोषण का सामना किया, जिसमें वैश्विक गंभीर कुपोषण (GAM) की दर 10 प्रतिशत से अधिक और कुछ जिलों में 30 प्रतिशत से भी ज्यादा रही. इसकी वजह गरीबी रही. FAO की रिपोर्ट के अनुसार, बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध के 43 ग्रामीण जिलों में 11.8 मिलियन लोग या 32 प्रतिशत आबादी को सर्दियों के दौरान गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ेगा।
आपको बता दें कि यहां उन्हीं इलाकों की बात की गई है, जहां पाकिस्तान से आज़ादी का आंदोलन चल रहा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि मार्च 2023 और जनवरी 2024 के बीच यहां 2.1 मिलियन बच्चों को गंभीर कुपोषण का सामना करना पड़ा. सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में, खराब स्वास्थ्य सुविधाओं और खराब सड़कों ने भी लोगों की ज़िंदगी मुश्किल कर दी है. जलवायु परिवर्तन और खराब मौसम की वजह से भी लोगों के जीवन को मुश्किल बनाता है।