सिंगापुर में 30 मई से 1 जून, 2025 तक आयोजित शांगरी-ला डायलॉग, एक प्रमुख वैश्विक रक्षा और सुरक्षा सम्मेलन, भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के तनावों का केंद्र बन गया।
भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान और पाकिस्तान के चेयरमैन जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने एक-दूसरे के खिलाफ तीखे बयान दिए, जो कश्मीर में हुए आतंकी हमले और इसके जवाब में भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद उपजे तनाव को दर्शाते हैं।
पृष्ठभूमि: पाहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर
22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में एक भीषण आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। भारत ने इस हमले के लिए द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF), जिसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मोर्चा माना जाता है, और अन्य पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया। इसके जवाब में भारत ने 7 मई, 2025 को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया।
इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना, मिसाइलों, सशस्त्र ड्रोनों और तोपखाने का उपयोग किया गया, जिसके परिणामस्वरूप जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। चार दिन की तीव्र झड़पों के बाद, 10 मई को दोनों पक्षों के बीच युद्धविराम हुआ।
शांगरी-ला डायलॉग में जनरल अनिल चौहान के बयान
जनरल अनिल चौहान ने शांगरी-ला डायलॉग में रॉयटर्स और ब्लूमबर्ग टीवी को दिए साक्षात्कारों में ऑपरेशन सिंदूर और भारत की रणनीति पर विस्तार से बात की। उनके प्रमुख बयान निम्नलिखित हैं:
ऑपरेशन सिंदूर का विवरण:
भारत ने 7 मई को शुरू किए गए ऑपरेशन में 300 किलोमीटर की गहराई तक पाकिस्तानी क्षेत्र में सटीक हमले किए, जिसमें आतंकी संगठनों के ठिकानों को नष्ट किया गया।
पहले दिन (7 मई) भारतीय वायुसेना को “सामरिक गलतियों” के कारण कुछ नुकसान हुआ, जिसमें कम से कम एक जेट विमान का नुकसान शामिल था। हालांकि, चौहान ने पाकिस्तान के दावे को खारिज किया कि उन्होंने छह भारतीय युद्धक विमान, जिनमें तीन राफेल शामिल थे, मार गिराए, और इसे “पूरी तरह गलत” बताया।
दो दिनों के भीतर भारत ने अपनी गलतियों को सुधारा और लंबी दूरी के सटीक हमलों को फिर से शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान के आठ हवाई अड्डों को निष्क्रिय कर दिया गया।
पाकिस्तान जनरल ने कहा
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अपने संबोधन में, पाकिस्तान के जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा ने प्रबंधन के बजाय संघर्ष समाधान की ओर बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया, चेतावनी दी कि इसके अभाव में विनाशकारी वृद्धि हो सकती है। क्षेत्रीय संकट-प्रबंधन तंत्र” शीर्षक से एक पैनल चर्चा के दौरान, मिर्ज़ा ने कहा: “संघर्ष प्रबंधन से संघर्ष समाधान की ओर बढ़ना अनिवार्य हो गया है। इससे स्थायी शांति और सुनिश्चित संकट प्रबंधन सुनिश्चित होगा।”
कश्मीर मुद्दे का समाधान जरूरी है
इसके बाद उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति के लिए “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप कश्मीर (मुद्दे) का शीघ्र समाधान आवश्यक है।”
उन्होंने कहा, “भारतीय नीतियों को देखते हुए… संकट प्रबंधन तंत्र की अनुपस्थिति वैश्विक शक्तियों को हस्तक्षेप करने और शत्रुता को समाप्त करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दे सकती है। नुकसान और विनाश से बचने के लिए शायद बहुत देर हो चुकी होगी।”
मिर्ज़ा ने कश्मीर मुद्दे पर आगे कहा, “जब कोई संकट नहीं होता है, तो कश्मीर पर कभी चर्चा नहीं होती है, और जैसा कि हम हमेशा कहते हैं कि कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं और यूएनएससी प्रस्तावों के अनुरूप कश्मीर विवाद समाधान ही कई मुद्दों का समाधान करेगा। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान और भारत के बीच जो मूल है वह कश्मीर है। जबतक इसका स्थायी समाधान नहीं होता ये मुद्दा हमेशा उभरेगा।