Shein ब्रांड की चकाचौंध के पीछे का कड़वा सच.

Shein ब्रांड की चकाचौंध के पीछे का कड़वा सच.

शीन पर एक नज़र: 100 बिलियन डॉलर का फास्ट फ़ैशन ब्रांड जहाँ फ़ैक्टरी कर्मचारी हफ़्ते में 75 घंटे काम करते हैं

Shein—जिसे आज ग्लोबल फैशन लवर्स फॉलो करते हैं—एक ऐसा नाम बन चुका है जिसने तेज़ रफ्तार फैशन के ट्रेंड को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। लेकिन जितनी चकाचौंध इसकी वेबसाइट और कपड़ों में दिखती है, उतनी ही स्याह है इसकी फैक्ट्रियों के भीतर की कहानी।

Shein ब्रांड की चकाचौंध के पीछे का कड़वा सच.
Shein ब्रांड की चकाचौंध के पीछे का कड़वा सच.

फैशन का ग्लैमर, मज़दूरी की मार

Shein की वैल्यू आज $100 बिलियन से भी ज़्यादा आँकी गई है। मगर इसके पीछे जो श्रमिक हैं, उनकी हालत चिंताजनक है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में Shein के कारखानों में काम करने वाले कर्मचारी हफ्ते में 75 घंटे से भी ज़्यादा काम करते हैं।

यह संख्या न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मज़दूरी मानकों के खिलाफ है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक शोषण का भी संकेत है।

BBC और Euronews की रिपोर्ट्स ने खोली पोल

Euronews और BBC जैसे प्रतिष्ठित मीडिया हाउस ने हाल ही में खुलासा किया कि फैक्ट्री कर्मचारी बिना किसी सप्ताहांत छुट्टी के लगातार काम करते हैं। कई कर्मचारी एक दिन में 16-18 घंटे तक काम करने की बात स्वीकार करते हैं।

यहां तक कि कुछ फैक्ट्रियों में सुरक्षा नियमों का पालन भी नहीं किया जाता, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है।

Shein ब्रांड की चकाचौंध के पीछे का कड़वा सच.
Shein ब्रांड की चकाचौंध के पीछे का कड़वा सच.

सस्ते कपड़े, भारी कीमत

Shein का पूरा बिजनेस मॉडल “cheap and fast” पर टिका हुआ है। उपभोक्ताओं को नए डिज़ाइन कम कीमत में मिलते हैं, लेकिन इसका असली मूल्य वर्कर्स चुकाते हैं।

हर दिन 1,000 से ज्यादा डिज़ाइनों का उत्पादन होता है, जिससे कर्मचारियों पर लगातार दबाव बना रहता है। इतना ही नहीं, कई मजदूरों को ओवरटाइम का भुगतान भी नहीं किया जाता

ट्रांसपेरेंसी की कमी

Shein की वेबसाइट पर कंपनी नैतिक फैशन की बात करती है। हालांकि, जब NGOs और मीडिया ने इसके सप्लाई चेन और फैक्ट्रियों की पारदर्शिता पर सवाल उठाए, तो कंपनी ने या तो जवाब देने से इनकार किया या अस्पष्ट बयान जारी किए।

यह पारदर्शिता की भारी कमी दर्शाता है, जो किसी भी अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के लिए खतरनाक संकेत है।

क्या ग्राहक भी हैं जिम्मेदार?

अब सवाल यह उठता है कि इस तरह के ब्रांड को इतना बड़ा कौन बना रहा है? जवाब है — हम उपभोक्ता

हर बार जब हम ₹300 में टॉप या ₹500 में जींस खरीदते हैं, हम कहीं न कहीं इस शोषण को बढ़ावा देते हैं। इसलिए यह ज़रूरी हो गया है कि हम अपने फैशन विकल्पों को सोच-समझकर चुनें।

बदलाव की ज़रूरत

जब तक कंपनियाँ श्रमिकों की स्थिति को बेहतर नहीं बनातीं और जब तक उपभोक्ता अपनी खरीद के प्रभाव को नहीं समझते, तब तक यह चक्र चलता रहेगा।

थोड़ा महंगा लेकिन नैतिक फैशन चुनना, एक छोटा लेकिन सशक्त कदम हो सकता है।

Shein जैसी कंपनियाँ ग्लैमर और ट्रेंड का पर्याय बन चुकी हैं। लेकिन इनके पीछे छिपी हकीकत परेशान करने वाली है। फैशन सिर्फ दिखावे के लिए नहीं होना चाहिए, बल्कि इसमें इंसानियत की झलक भी होनी चाहिए।

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