Axiom-4: वायुसेना के जांबाज टेस्ट पायलट शुभांशु शुक्ला इतिहास रचने जा रहे हैं। वे 10 जून 2025 को अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा पर रवाना होंगे।
इस मिशन में वे क्रू ड्रैगन यान के जरिए अन्य तीन सदस्यों के साथ अंतरिक्ष में 60 से अधिक प्रयोग करेंगे। खास बात यह है कि इस मिशन में एक बेहद अनोखे जीव टार्डिग्रेड्स (Tardigrades) पर भी अनुसंधान की जाएगी।
क्या होते हैं टार्डिग्रेड्स?
टार्डिग्रेड्स, जिन्हें बहुधा “जल भालू” या “मॉस पिगलेट” कहा जाता है, सूक्ष्म जीव होते हैं जो सिर्फ़ माइक्रोस्कोप से दिखते हैं। इनका शरीर खंडों में बंटा होता है और इनके आठ छोटे पैर होते हैं।
यह जीव इतने कठोर होते हैं कि अंतरिक्ष के निर्वात, रेडिएशन, उबलते पानी, और यहां तक कि -273°C जैसी परिस्थितियों में भी ज़िंदा रह सकते हैं।

टार्डिग्रेड्स पर क्यों हो रहा है रिसर्च?
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि टार्डिग्रेड्स के खास गुणों को समझकर भविष्य में इंसानों को भी चरम परिस्थितियों के सुलभ बनाया जा सकेगा।
जब टार्डिग्रेड्स पर कोई संकट आता है, तो वे “तुन अवस्था (Tun State)” में चले जाते हैं, यानी एक तरह की सुपर-हाइबरनेशन स्थिति जिसमें वे दशकों तक जीवित रह सकते हैं।

अंतरिक्ष में पहले भी हुए हैं प्रयोग
साल 2007 में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने करीब 3,000 टार्डिग्रेड्स को 10 दिनों के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा था। वहां से लौटने पर दो-तिहाई जीवित थे और उन्होंने पृथ्वी पर आकर प्रजनन भी किया। इससे साबित हुआ कि ये जीव अंतरिक्ष जैसी विपरीत स्थिति में भी जीवित
रह सकते हैं।
भारत के लिए गौरव का क्षण
शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है। वे ISS पर जाने वाले पहले भारतीय नागरिक बनेंगे। साथ ही, टार्डिग्रेड्स पर उनके द्वारा किया गया शोध मानव जाति के लिए लंबी अवधि की स्पेस जर्नी को सरल बना सकता है।