चैरिटी और वक्फ मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन भी सुनवाई जारी है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें और मुख्य न्यायाधीश के बयान पर जानकारी देखें।
वक्फ कानून से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई जारी रही। इस दौरान सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने तर्क प्रस्तुत किए।
उन्होंने कहा कि वक्फ इस्लामिक अवधारणा है, लेकिन यह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। उन्होंने बताया कि दान सभी धर्मों में होता है
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सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ बोर्ड का चैरिटी और वक्क् के असल कामकाज से कोई संबंध नहीं है। मुख्य मुद्दा यह है कि बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल हैं, जबकि मुस्लिम सदस्यों की संख्या पहले से ही अधिक है। बोर्ड केवल उन मुतवल्ली को हटा सकता है जिन्होंने कानून का उल्लंघन किया हो।
मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने तुषार मेहता ने याचिकाकर्ताओं की उस आपत्ति का जवाब दिया, जिसमें कहा गया था कि नया वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है।

वक्फ सौ साल पुराना, पर कागजात क्यों नहीं दिखाए?
तुषार मेहता ने कहा कि 100 साल पुरानी संपत्ति के कागजात उपलब्ध कराना संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि दस्तावेज़ हमेशा जरूरी नहीं थे और इस बात को लेकर कुछ कहानियां बनाई जा रही हैं।
यह केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि अधिनियम के साथ जुड़ी पवित्रता है। 1923 के अधिनियम के अनुसार, अगर दस्तावेज़ मौजूद हैं तो उन्हें पेश करना चाहिए, अन्यथा उपलब्ध जानकारी के आधार पर ही मामला चलाना होगा।
हिंदू बंदोबस्ती आयुक्त को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति
मंदिर में पुजारी नियुक्त करने का निर्णय राज्य सरकार का होता है और वक्फ बोर्ड धार्मिक कार्यों में बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं करता। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक झूठी और काल्पनिक कहानी है
पहले के कानून में तीन महीने का वक्त था
सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था 1923 से लागू है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पुराने कानूनों में तीन महीने का समय था, जबकि अब इसे छह महीने कर दिया गया है।
तुषार मेहता ने कहा कि जो भी अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए हैं, उनके लिए अभी भी मौका है। उन्होंने कहा कि यह गलतफहमी फैलाई जा रही है कि संपत्ति हड़प ली जाएगी।