यह एकादशी क्यों मानी जाती है विशेष?
हिंदू धर्म में एकादशी (Ekadashi) व्रत को विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व (aadhyaatmik mahatv) प्राप्त है। साल में कुल 24 (मलमास में 26) एकादशियाँ आती हैं, लेकिन (Putrada Ekadashi) ‘पुत्रदा एकादशी’ विशेष रूप से संतान प्राप्ति की कामना से रखी जाती है।
- साल 2025 में श्रावण माह में पुत्रदा एकादशी का व्रत 5 अगस्त, मंगलवार के दिन रखा जाएगा.
- साल 2025 में पौष माह में पुत्रदा एकादशी का व्रत 30 दिसंबर, मंगलवार के दिन रखा जाएगा.
Ekadashi 2025: एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, साथ ही भगवान विष्णु की कृपा सदैव अपने भक्तों और उनके परिवार पर बनी रहती है. संतान सुख की प्राप्ति के लिए साल में दो बार कौन-सी एकादशी का व्रत रखा जाता है, जानें.
Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत श्री हरि नारायण भगवान को समर्पित है. विष्णु जी की कृपा पाने के लिए लोग एकादशी का व्रत करते हैं. भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार है जो त्रिदेव में से एक है.
एकादशी का व्रत एक महत्वपूर्ण व्रत है. हर माह में 2 एकादशी के व्रत पड़ते हैं. एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार 11वीं तिथि को कहा जाता है. पहला कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता है. साल में कुल 24 एकादशी के व्रत पड़ते हैं. एकादशी का व्रत करने से भक्तों के सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi)
साल में जो एकादशी दो बार आती है वो है पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi). पुत्रदा एकादशी का व्रत श्रावण माह (Sharavan Maas) और पौष माह (Paush Maas) में रखा जाता है. यह एकादशी अपने नाम के अनुसार पुत्र की प्राप्ति या संतान की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखा जाता है.
श्रावण माह में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव को भी समर्पित होती है वहीं पौष माह में पड़ने वाली एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इस व्रत वह निसंतान दंपत्ति रख सकते हैं जो पुत्र या संतान की प्राप्ति या कामना रखते हैं. माना जाता है इस व्रत को करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है.
सावन माह में पड़ने वाली एकादशी को पवित्रोपा एकादशी और पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस एकादशी का व्रत हर साल जुलाई या अगस्त के माह में पड़ता है.
2025 में पुत्रदा एकादशी कब है?
पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 04 अगस्त को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर होगी। वहीं, शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन 05 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 12 मिनट पर होगा। इस प्रकार 05 अगस्त को पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी।
पुत्रदा एकादशी के पीछे क्या कहानी है?
पौराणिक कथा के अनुसार, पुराने समय में एक राजा सुकेतुमान और उनकी रानी संतान न होने के कारण बहुत दुखी थे। राजा को चिंता थी कि उनकी मृत्यु के बाद उनका वंश कौन चलाएगा। एक दिन ऋषियों ने उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। राजा और रानी ने यह व्रत पूरी श्रद्धा से किया।