स्प्लीन इंजरी के बाद हालत में सुधार
सिडनी: भारतीय क्रिकेटर श्रेयस अय्यर(Shreyas Iyer) को सिडनी के अस्पताल के ICU से सामान्य वॉर्ड में शिफ़्ट कर दिया गया है और उनकी हालत में लगातार सुधार हो रहा है। BCCI के वाइस प्रेसिडेंट राजीव शुक्ला ने इस बात की पुष्टि की है। श्रेयस(Shreyas Iyer) को 25 अक्टूबर को सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे ODI मैच के दौरान कैच लेते समय बाईं पसली में चोट लगी थी। स्कैन में उनकी स्प्लीन (तिल्ली या प्लीहा) में चोट का पता चला, जिसके कारण उन्हें अंदरूनी ब्लीडिंग (internal bleeding) हुई थी। BCCI की मेडिकल टीम सिडनी और भारत के डॉक्टरों से सलाह लेकर उनकी चोट पर बारीकी से नजर रखे हुए है, और उनके परिवार के सदस्य जल्द ही सिडनी पहुंचने वाले हैं।
चोट की गंभीरता और रिकवरी टाइमलाइन
चूंकि चोट के बाद अंदरूनी रक्तस्राव हुआ था, इसलिए श्रेयस(Shreyas Iyer) को पूरी तरह फिट होने में ज्यादा समय लगेगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उनकी वापसी की कोई निश्चित टाइमलाइन बता पाना फिलहाल मुश्किल है, और उन्हें कम से कम एक हफ्ते तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है। भारतीय टीम के डॉक्टर अगले कुछ दिनों तक उनकी रोज़ाना की प्रगति का पता लगाने के लिए सिडनी में उनके साथ रहेंगे। BCCI की त्वरित कार्रवाई ने सुनिश्चित किया कि उन्हें तत्काल गहन चिकित्सा (intensive care) मिल सके।
स्प्लीन (तिल्ली) का कार्य और चोट के लक्षण
डॉक्टरों के अनुसार, स्प्लीन मुट्ठी के आकार का वह अंग है जो पसलियों के नीचे बाईं ओर होता है। इसका मुख्य कार्य खून साफ करना और शरीर को संक्रमण से बचाना होता है। यह चोट 1982 में फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन को लगी चोट की तरह ही गंभीर है। स्प्लीन में चोट बाहर से दिखाई नहीं पड़ती, लेकिन अंदरूनी रक्तस्राव के कारण इसके मुख्य लक्षण हैं: बेहद तेज दर्द, जी मिचलाना, चक्कर आना, लो ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट का बढ़ जाना।
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स्प्लीन की चोट का संभावित इलाज
चोट का इलाज उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। डॉक्टर पहले उपचार के तौर पर दवा और बेड रेस्ट से क्षतिग्रस्त टिश्यू के अपने आप ठीक होने का इंतजार करते हैं। यदि इससे सुधार नहीं होता, तो चोटिल टिश्यू की सर्जरी का विकल्प होता है। स्प्लीन को निकालना अंतिम उपाय होता है, क्योंकि स्प्लीन रिमूवल के बाद व्यक्ति को संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है। फिलहाल श्रेयस की हालत में सुधार हो रहा है और वे डॉक्टरों की निगरानी में हैं।
स्प्लीन की चोट को जानलेवा क्यों माना जाता है, और इसे अंदरूनी चोट क्यों कहते हैं?
चोट को जानलेवा माना जाता है क्योंकि स्प्लीन रक्त वाहिकाओं से भरा एक नाजुक अंग है। चोट लगने पर इसमें तेज आंतरिक रक्तस्राव शुरू हो सकता है, जिससे रक्तचाप खतरनाक रूप से गिर जाता है और तत्काल इलाज न मिलने पर यह घातक हो सकता है। इसे अंदरूनी चोट इसलिए कहते हैं क्योंकि यह शरीर के बाहर दिखाई नहीं देती, बल्कि पसली के नीचे स्थित एक अंग में होती है।
BCCI ने श्रेयस अय्यर की चोट के बारे में 27 अक्टूबर को क्या आधिकारिक जानकारी दी?
BCCI ने 27 अक्टूबर को आधिकारिक तौर पर बताया कि स्कैन में श्रेयस अय्यर(Shreyas Iyer) को बाईं पसली के नीचे स्प्लीन में लैकरेशन इंजरी का पता चला है। बोर्ड ने पुष्टि की कि वह चिकित्सकीय रूप से स्थिर हैं और उनका इलाज सिडनी में जारी है। BCCI की मेडिकल टीम, भारत और सिडनी के विशेषज्ञों के परामर्श से, उनकी चोट पर लगातार नजर रख रही है।
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