सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल 2025 को 2016 की एसएससी भर्ती प्रक्रिया के तहत नियुक्त 25,753 गुरु और गैर-टीचिंग कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया। न्यायालय ने इस प्रक्रिया को “दोषपूर्ण और भ्रष्ट” बताया। यह निर्णय कलकत्ता हाई कोर्ट के 2024 के निर्णय को बरकरार रखते हुए सुनाया गया।
एसएससी भर्ती: प्रदर्शन और ओएमआर शीट की मांग
इस निर्णय के बाद हजारों बेरोजगार अध्यापककों ने साल्ट लेक के करुणामयी इलाके से SSC भवन तक मार्च किया। उनकी मुख्य मांग थी – ओएमआर शीट जारी करना, जिससे यह साफ़ हो सके कि किस उम्मीदवार ने वैध तरीके से परीक्षा पास की थी।
प्रशासन की कार्रवाई और इलज़ाम
रैली को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। प्रदर्शनकारियों ने इलज़ाम लगाया कि पूर्व में विरोध के दौरान कुछ अध्यापककों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पुलिस अधिकारी को ही अब छानबीन का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। उन्होंने कहा, “आरोपी कैसे पीड़ितों की समीक्षा कर सकता है?”
एसएससी भर्ती घोटाले में राजनीतिक परतें
कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने 2021 में CBI छानबीन का आदेश दिया था। छानबीन में पता चला कि भर्ती प्रक्रिया में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ था। इसके बाद ईडी और CBI ने पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी सहित कई अफसरो को गिरफ्तार किया।

प्रदर्शनकारियों की मांगें
- ओएमआर शीट की सार्वजनिक प्रतियां
- पात्र दावेदार की पहचान
- भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता
- आयोग की उत्तरदायी तय करना
निष्कर्ष
एसएससी भर्ती घोटाला न केवल शिक्षा तंत्र पर सवाल खड़े करता है, बल्कि हजारों योग्य युवाओं के भविष्य पर भी मुसीबत बनकर सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय न्यायिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, लेकिन वास्तविक पीड़ितों की पहचान और पुनर्नियुक्ति पर अब गवर्नमेंट और आयोग की दायित्व बनती है।