Global Warming: जून की प्रारंभ के साथ ही भारत के अधिकांश हिस्सों में गर्मी अपने चरम पर है। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद जैसे शहरों में तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है। इस गर्मी से राहत पाने के लिए लोग बड़ी मात्रा में एयर कंडीशनर (AC) का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि करोड़ों एसी एक साथ चलने से वातावरण पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है?
एसी से निकलने वाली गर्मी और ऊर्जा खपत का प्रभाव
एसी से निकलने वाली गर्मी और उसमें उपयोग होने वाली ऊर्जा ग्लोबल वॉर्मिंग को बढ़ावा देती है। अन्वेषण में पाया गया है कि जब लोग 16 या 18 डिग्री सेल्सियस पर एसी का तापमान रखते हैं, तो इससे ना केवल अधिक ऊर्जा खर्च होती है, बल्कि वातावरण भी अधिक गर्म होता है।
दूसरे देशों में पहले से लागू हैं नियम
दुनिया के कई विकसित देशों ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है।
- अमेरिका: 21°C से 24°C
- इटली: 23°C से 25°C
- जापान: 26°C से 28°C
इन देशों में एसी का टेंपरेचर एक तय सीमा से नीचे नहीं जा सकता, जिससे ऊर्जा की बचत और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

भारत में भी बदलाव की तैयारी
Global Warming: भारत सरकार अब एसी के लिए 20 डिग्री सेल्सियस की न्यूनतम सीमा तय करने पर विचार कर रही है। इस कदम का उद्देश्य है:
- ऊर्जा की खपत को कम करना
- लोगों के बिजली बिल में कटौती
- वातावरण पर एसी से होने वाले प्रभाव को कम करना
सामान्य तापमान पर भी ठंडक का अनुभव
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर एसी को 24-26 डिग्री सेल्सियस पर सेट किया जाए तो भी यह आरामदायक ठंडक प्रदान करता है। साथ ही यह सेहत के लिए भी बेहतर होता है क्योंकि अत्यधिक ठंडक से शरीर को हानि हो सकता है।