चीन के तियानजिन में 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) की मौजूदगी में मोदी ने आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया और दोहरे मापदंड अपनाने वालों पर निशाना साधा। उन्होंने हालिया पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा, “भारत चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है। पहलगाम में हमने इसका घिनौना रूप देखा। इस दुख की घड़ी में साथ खड़े मित्र देशों का आभार।”
आतंकवाद पर दोहरा रवैया स्वीकार्य नहीं
मोदी ने जोर देकर कहा, “आतंकवाद पर दोहरा रवैया स्वीकार्य नहीं। कुछ देश इसे नीति का हथियार बनाते हैं, जो मानवता के लिए चुनौती है। SCO को एकजुट होकर आतंकवाद और इसके वित्तपोषण के खिलाफ लड़ना होगा।” उनके बयान ने पाकिस्तान की ओर इशारा किया, जिसे भारत लंबे समय से आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है। SCO के 10 सदस्य देशों—भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान—के नेताओं ने इस समिट में क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और आतंकवाद विरोध पर चर्चा की।
क्षेत्रीय शांति और वैश्विक न्याय की वकालत की
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने समिट का उद्घाटन करते हुए क्षेत्रीय शांति और वैश्विक न्याय की वकालत की। मोदी ने भारत की SCO नीति को तीन स्तंभों—सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर—पर आधारित बताया। उन्होंने कहा, “भारत ने हमेशा SCO में रचनात्मक भूमिका निभाई। हमने अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ संयुक्त अभियान का नेतृत्व किया।”
समिट के पहले दिन मोदी ने शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय मुलाकातें कीं। भारत-चीन संबंधों में सुधार और रूस के साथ रक्षा सहयोग पर चर्चा हुई। वहीं, शहबाज शरीफ समिट में अलग-थलग नजर आए। एक वायरल वीडियो में उन्हें मोदी और पुतिन की बातचीत को कोने से देखते देखा गया, जो भारत-पाक तनाव को दर्शाता है। समिट का संयुक्त बयान अब चर्चा का विषय है, जिसमें आतंकवाद पर भारत के रुख को समर्थन मिलने की उम्मीद है। यह समिट वैश्विक कूटनीति में भारत की मजबूत स्थिति को रेखांकित करता है।
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