नई दिल्ली । केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू (Kiren Rijiju) ने कहा कि भारत की सीमा सुरक्षा को मज़बूत बनाने के लिए ठोस नीतिगत ढांचा बेहद ज़रूरी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास कार्यों ने बीते एक दशक में उल्लेखनीय प्रगति की है।
सीमा पार घुसपैठ बनी गंभीर चुनौती
दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “सीमा पार से घुसपैठ: सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवेश पर प्रभाव” को संबोधित करते हुए रीजीजू ने कहा—देश की शुरुआत सीमा से होती है, लेकिन अधिकतर लोग सीमावर्ती इलाकों की समस्याओं को समझ नहीं पाते।”घुसपैठ सिर्फ सुरक्षा नहीं बल्कि सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवेश पर भी गहरा असर डालती है।”
2014 के बाद सीमावर्ती गांवों में आया बदलाव
रीजीजू ने कहा कि 2014 से पहले भारतीय सीमा के गांव विकास से वंचित थे, जबकि दूसरी ओर पड़ोसी देशों के गांवों में बेहतर सुविधाएं थीं। 2018 तक सड़कें, बिजली और नेटवर्क जैसी बुनियादी सुविधाएं कई दुर्गम गांवों तक पहुंच चुकीं। मज़बूत नीति के चलते आज भारत अपनी ज़मीन के हर इंच तक मजबूती से खड़ा है।
सम्मेलन में विशेषज्ञों ने रखे विचार
सम्मेलन का आयोजन सीमा जागरण मंच, मोतीलाल नेहरू कॉलेज और आंतरिक एवं जन सुरक्षा केंद्र (CIPS) के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। डीयू, जेएनयू और गढ़वाल विश्वविद्यालय सहित कई संस्थानों के 174 शोधकर्ताओं और छात्रों ने भाग लिया। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सीमा जागरण मंच के जागरूकता अभियानों की सराहना की। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति ने सीमा संबंधी चिंताओं पर जन जागरूकता की अहमियत बताई। सीमा जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक मुरलीधर ने कहा कि “देश की सुरक्षा सिर्फ सेना और पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, हर नागरिक को अपनी भूमिका निभानी चाहिए।”
वर्तमान में किरण रिजिजू कौन हैं?
किरण रिजिजू किरेन रिजिजू (जन्म 19 नवंबर 1971) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो 2024 से 28वें संसदीय कार्य मंत्री और 7वें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रूप में कार्यरत हैं।
किरण रिजिजू का नया मंत्रालय क्या है?
10 जून 2024 को उन्हें भारत सरकार में संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।
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