साइबर क्राइम डीएसपी ने विद्यार्थियों को किया जागरूक
संगारेड्डी। डीएसपी (DSP) साइबर क्राइम एन वेणुगोपाल रेड्डी ने छात्रों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सतर्क रहने और धोखेबाजों द्वारा साझा किए गए यूआरएल पर क्लिक करने से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कई लोग जल्दी पैसा कमाने की चाहत में साइबर अपराधों का शिकार हो जाते हैं। साइबर (Cyber) जागरूकता दिवस के तहत बुधवार को जहीराबाद स्थित आचार्य डिग्री कॉलेज में डिग्री छात्रों को संबोधित करते हुए वेणुगोपाल रेड्डी ने उन्हें व्यापार और निवेश धोखाधड़ी, पहचान की चोरी, ऋण घोटाले, विज्ञापन धोखाधड़ी और सामान्य ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में जागरूक किया।
प्रश्नोत्तरी में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रदान किए गए प्रमाण पत्र
साइबर अपराध विभाग ने साइबर अपराध के प्रति छात्रों की जागरूकता का परीक्षण करने के लिए एक प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 600 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। तीन छात्रों, के. वेंकटेश, एम. नागेश्वरी और नव्या श्री को प्रश्नोत्तरी में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इसी प्रकार के जागरूकता सत्र संगारेड्डी के सेंट एन्स डिग्री कॉलेज और पाटनचेरू के गवर्नमेंट जूनियर कॉलेज में आयोजित किए गए, जहां इंस्पेक्टर रवि ने छात्रों को डिजिटल सुरक्षा पर संबोधित किया।
ऑनलाइन धोखाधड़ी क्या है?
इंटरनेट, मोबाइल या डिजिटल माध्यमों के ज़रिए जब किसी व्यक्ति या संस्था से झूठ, छल या तकनीकी तरकीब से धन, डाटा या पहचान की चोरी की जाती है, तो उसे ऑनलाइन धोखाधड़ी कहा जाता है। यह साइबर अपराध की एक सामान्य और तेजी से बढ़ती श्रेणी है।
ऑनलाइन फ्रॉड कितने प्रकार के होते हैं?
इसमें कई प्रकार शामिल हैं जैसे –
- फिशिंग (ईमेल/मैसेज से धोखा)
- OTP या बैंक कॉल फ्रॉड
- फर्जी वेबसाइटों से खरीदी
- सोशल मीडिया ठगी
- फेक जॉब ऑफर या लॉटरी स्कैम।
हर प्रकार में व्यक्ति की गोपनीय जानकारी या पैसे को निशाना बनाया जाता है।
ऑनलाइन फ्रॉड में कौन सी धारा लगती है?
इस अपराध पर भारतीय दंड संहिता और आईटी अधिनियम के तहत कार्यवाही होती है। मुख्य रूप से –
आईटी एक्ट की धारा 66C (पहचान की चोरी), 66D (धोखाधड़ी), और IPC की धारा 420 (ठगी) लगाई जाती है। ज़रूरत पड़ने पर अन्य धाराएं भी जोड़ी जा सकती हैं।
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