भूमिका – एक साहसी अफसर की कहानी
भारत की बेटियाँ हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रही हैं, और DSP श्रेष्ठा ठाकुर इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। एक साधारण परिवार से आने वाली श्रेष्ठा ने कठिनाइयों का सामना करते हुए न सिर्फ वर्दी पहनी, बल्कि अन्याय के खिलाफ आवाज़ भी उठाई।
🎓 शिक्षा और शुरुआती जीवन
📚 मेहनत से मिली पहचान
श्रेष्ठा ठाकुर ने अपनी पढ़ाई मेरठ से पूरी की और स्नातक के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की। उनका लक्ष्य सिर्फ एक अच्छी नौकरी पाना नहीं था, बल्कि समाज में बदलाव लाना था।
🚔 पुलिस सेवा में प्रवेश
🧭 संघर्षों का सफर
UPPCS परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद श्रेष्ठा का चयन DSP (Deputy Superintendent of Police) पद पर हुआ। यह एक ऐसा मोड़ था, जहाँ उन्होंने समाज की बेहतरी के लिए वर्दी का इस्तेमाल किया।
💪 जब वर्दी बनी हिम्मत की पहचान
2017 में उनका नाम उस समय सुर्खियों में आया जब उन्होंने बिना डरे एक स्थानीय राजनेता को ट्रैफिक नियम तोड़ने पर चालान थमा दिया। इसके बाद उन्हें ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन श्रेष्ठा ने पीछे हटने के बजाय और मज़बूती से डटकर खड़ी रहीं।
🧠 विचारशील नेतृत्व
श्रेष्ठा सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव हैं और समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, लैंगिक भेदभाव, और नैतिक मूल्यों पर खुलकर बोलती हैं। वे युवाओं को प्रेरणा देने का काम करती हैं कि डरकर नहीं, डटकर जीना चाहिए।
👏 प्रेरणा बनीं श्रेष्ठा ठाकुर
🌟 आज की नारी की सच्ची पहचान
श्रेष्ठा ठाकुर आज लाखों लड़कियों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती।
शादी से विवाद तक
साल 2018 में श्रेष्ठा ने रोहित नाम के एक युवक से शादी की, जिसने खुद को IRS अफसर बताया. बाद में यह झूठ निकला और आरोप है कि रोहित ने शादी के बाद उनके नाम का दुरुपयोग किया. धोखाधड़ी के चलते उन्होंने तलाक लिया और केस दर्ज कराया. रोहित की गिरफ्तारी भी हुई. लेकिन जेल से छूटने के बाद उसने डीएसपी पर कई आरोप लगाए जिसमें झूठे केस और शादी के लिए दबाव डालने जैसे दावे शामिल हैं.