नई दिल्ली। आयुर्वेद में सूर्य को जीवनदायी शक्ति माना गया है और धूप लेने को आवश्यक और लाभकारी बताया गया है। आधुनिक चिकित्सा भी सूर्य की रोशनी से मिलने वाले विटामिन डी को अमृत समान मानती है।
सनशाइन विटामिन का प्राकृतिक स्रोत
सूर्य की किरणों से मिलने वाला विटामिन डी (Vitamin D) शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसे सनशाइन विटामिन (Sunshine) कहा जाता है क्योंकि इसका सबसे प्राकृतिक और प्रभावशाली स्रोत सूर्य की रोशनी ही है। जब सूर्य का प्रकाश त्वचा पर पड़ता है, तो शरीर में विटामिन डी-3 का निर्माण होता है।
हड्डियों और मांसपेशियों को मिलता है बल
विटामिन डी शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस ( Phosphoras) के अवशोषण में मदद करता है, जिससे हड्डियां मजबूत रहती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस व रिकेट्स जैसी बीमारियों से बचाव होता है। यही कारण है कि बच्चों के विकास और वृद्धावस्था में धूप लेना आवश्यक माना जाता है।
मानसिक और आत्मिक शांति का साधन
सूर्य की किरणें केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। धूप लेने से मस्तिष्क में हार्मोनल संतुलन बेहतर होता है, जिससे मूड अच्छा रहता है और अवसाद व चिंता जैसी समस्याएं कम होती हैं।
त्वचा और रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर
धूप के संपर्क से त्वचा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। यह रोमछिद्र खोलकर त्वचा को साफ करती है और रक्त संचार को बेहतर बनाती है। हल्की धूप एक प्राकृतिक रोगनाशक की तरह कार्य करती है, जो संक्रमणों से बचाती है।
कब और कितनी धूप लें
विशेषज्ञों का कहना है कि सुबह 7 से 9 बजे तक की धूप सबसे लाभकारी होती है क्योंकि इस समय किरणें हल्की और शुद्ध होती हैं। हालांकि, अधिक देर तक तेज धूप में रहना त्वचा और आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है।
स्वस्थ जीवन की कुंजी
इस प्रकार सूर्य की किरणें न केवल जीवनदायी ऊर्जा प्रदान करती हैं, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को भी संवारती हैं। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों मानते हैं कि संतुलित रूप से धूप लेना ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है।
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