Supertech Builder Projects: बिल्डरों और बैंकों के बीच ‘गठजोड़’ की जांच जरूरी

सुपरटेक

 दिल्ली-एनसीआर में सुपरटेक बिल्डर्स के तमाम प्रोजेक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच करने का निर्देश दिया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने इसे ‘अशुद्ध गठजोड़’ करार दिया है। 

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि बिल्डरों और बैंकों के बीच गठजोड़ की जांच जरूरी है। कोर्ट ने सीबीआई को सुपरटेक लिमिटेड के एनसीआर (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम समेत अन्य जगहों पर) में चल रहे प्रोजेक्ट्स की जांच करने का आदेश दिया है।

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क्या है पूरा मामला?

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हजारों फ्लैट खरीदने वालों की याचिकाएं आईं थीं। जिसमें आरोप लगाया कि,  उन्होंने नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम जैसे इलाकों मेंसुपरटेक और अन्य बिल्डरों के प्रोजेक्ट्स में फ्लैट बुक कराए थे। बुकिंग सबवेंशन स्कीम के तहत की गई थी, जिसमें बैंक बिल्डर को 60-70% लोन की रकम सीधे दे देते थे। लेकिन फ्लैट समय पर नहीं बने और अब बैंक उनसे ईएमआई वसूल रहे हैं, जबकि उन्हें अभी तक फ्लैट का कब्जा नहीं मिला है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

  • मामले में शीर्ष न्यायालय ने इसे अशुद्ध गठजोड़ करार दिया और कहा कि यह आम लोगों को धोखा देने का मामला है।
  • सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने सीबीआई को निर्देश दिया कि- सुपरटेक प्रोजेक्ट्स में हो रही गड़बड़ियों की प्राथमिक जांच की जाए।
  • वहीं इस मामले में यूपी और हरियाणा के डीजीपी को कहा गया कि वे सीबीआई को डीएसपी, इंस्पेक्टर और कॉन्स्टेबल की सूची दें ताकि विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जा सके।

किन अधिकारियों को सहयोग करने को कहा गया?

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कई विभागों को निर्देश दिया है कि वे इस जांच में सहयोग करें। इसमें नोएडा अथॉरिटी, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) शामिल हैं। इन सभी को अपने वरिष्ठ अधिकारियों में से एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया है जो एसआईटी का सहयोग करेंगे।

मामले में अब सीबीआई एक रोडमैप तैयार करेगी जिसमें यह बताया जाएगा कि बिल्डर-बैंक गठजोड़ कैसे काम करता था? और किस तरह से बैंकों ने बिना गारंटी के बिल्डरों को पैसे दिए? जिसमें हजारों खरीदारों को कैसे ठगा गया?

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