देश के सर्वोच्च अदालत ने इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया यानी आईएसआईएस से संबंध रखने के आरोपी की जमानत याचिका को रद्द करने से इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) से संबंध रखने के आरोपी अम्मार रहमान की जमानत रद्द करने से इनकार कर दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ ने पाया कि रहमान के मोबाइल फोन में मिले सबूत उसे आईएसआईएस का सदस्य साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे और उसके खिलाफ अन्य सबूत उसे दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं थे। हालांकि, कोर्ट ने निर्देश दिया कि मुकदमे के लंबित रहने तक रहमान को कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना विदेश जाने की अनुमति नहीं है।
अम्मार रहमान पर क्या है आरोप?
आरोपी कथित तौर पर हिंसक जिहादी विचारधारा फैलाने, कट्टरपंथी बनाने और कमजोर मुस्लिम युवाओं की भर्ती करने के लिए सुरक्षित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई आईएसआईएस प्रचार चैनल संचालित कर रहा था। आरोपों के अनुसार, उसने और उसके साथियों ने आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए जम्मू-कश्मीर और आईएसआईएस-नियंत्रित क्षेत्रों में जाने की योजना बनाई थी।
सात मई को दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी
गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपी रहमान को जमानत देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि केवल इसलिए कि उस व्यक्ति ने अलकायदा संस्थापक ओसामा बिन लादेन और इस्लामिक स्टेट के झंडे की तस्वीरें डाउनलोड की हैं, यह उसे आतंकवादी घोषित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।
NIA ने 2021 में रहमान को किया था गिरफ्तार
अम्मार अब्दुल रहमान को अगस्त 2021 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार किया था। एनआईए के अनुसार, रहमान आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट की विचारधारा से कट्टरपंथी हो गया था, और उसने खिलाफत की स्थापना और भारत में आईएसआईएस की गतिविधियों को अंजाम देने के लिए दक्षिण-मध्य एशिया में इस्लामिक स्टेट-नियंत्रित क्षेत्रों में प्रवास करने की आपराधिक साजिश रची थी।
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