National : देश के पुलिस थानों में सीसीटीवी की कमी पर सुप्रीम कोर्ट का संज्ञान

By Anuj Kumar | Updated: September 5, 2025 • 9:51 AM

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अखबार में छपी खबर के बाद स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की, जिसमें देशभर के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों (CCTV Camera) की कमी का मुद्दा उठाया गया। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि 2025 में पिछले 7-8 महीनों में अकेले राजस्थान में पुलिस हिरासत में 11 मौतें हुई हैं। इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया।

2020 के आदेश का जिक्र

इससे पहले, 2020 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने देशभर के सभी पुलिस थानों में नाइट विज़न और ऑडियो क्षमता वाले सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया था। इस ऐतिहासिक फैसले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पुलिस परिसरों के सभी अहम बिंदुओं—लॉक-अप और पूछताछ कक्ष—में सीसीटीवी लगाने का निर्देश दिया गया था।

फुटेज सुरक्षित रखने का निर्देश

कोर्ट ने यह भी कहा था कि फुटेज को कम से कम 18 महीने तक सुरक्षित रखा जाए और हिरासत में यातना या मौत से संबंधित जांच के दौरान उपलब्ध कराया जाए।

कई थानों में कैमरे काम नहीं कर रहे

कोर्ट के निर्देशों के बावजूद कई पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे या तो काम नहीं कर रहे हैं या फुटेज उपलब्ध नहीं है। इस वजह से जांच और जवाबदेही प्रभावित होती है। पुलिस एजेंसियां अक्सर तकनीकी खराबी या फुटेज की अनुपलब्धता को कारण बताती हैं।

निगरानी समितियों की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट ने सीसीटीवी की खरीद, स्थापना और रखरखाव में राज्य और केंद्रीय निगरानी समितियों की भूमिका पर भी जोर दिया।

पीड़ित परिवारों को अधिकार

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गंभीर चोटों या हिरासत में मौतों के मामलों में पीड़ित या उनके परिवार मानवाधिकार आयोगों या अदालतों से संपर्क कर सकते हैं। इन संस्थाओं के पास जांच और साक्ष्य संरक्षण के लिए सीसीटीवी फुटेज मांगने का अधिकार है

भारत में कुल कितने सुप्रीम कोर्ट हैं?

भारत में केवल एक सर्वोच्च न्यायालय है, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। यह भारत का सबसे उच्चतम न्यायिक निकाय है और इसके बाद विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 25 उच्च न्यायालय आते हैं। 

भारत का पहला सुप्रीम कोर्ट कहां है?

सर्वोच्च न्यायालय ने शुरुआत में पुराने संसद भवन से कार्य किया, जब तक कि इसे 1958 में नई दिल्ली के तिलक मार्ग स्थित वर्तमान भवन में स्थानांतरित नहीं कर दिया गया।

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