नई दिल्ली, 16 सितंबर 2025 —
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का अंतरिम फैसला सोमवार को आते ही मुस्लिम (Muslim) समाज में खुशी की लहर दौड़ गई थी। सुबह से ही कई बड़े मुस्लिम संगठन और नेता इसे “अपनी जीत” बता रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे फैसले की पूरी कॉपी सामने आई और बारीकियों का अध्ययन हुआ, उत्साह की जगह चिंता और मायूसी ने ले ली।
क्या था मामला?
वक्फ अधिनियम को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक संपत्तियों पर सरकारी दखल मानते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती दी गई थी। अदालत ने कुछ धाराओं पर रोक लगाई, लेकिन पूरे कानून को रद्द करने से इंकार कर दिया। यही कारण है कि शुरू में इसे राहत माना गया।
सुबह क्यों मानी गई जीत?
फैसले के तुरंत बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कई मुस्लिम नेताओं ने बयान दिए कि सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ की संपत्तियों को बचाने की दिशा में कदम उठाया है।
- मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह फैसला मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को सुरक्षित करता है।
- शिया मौलाना कल्बे जव्वाद और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने भी इसे राहत बताया।
सुबह तक माहौल यह था कि मुस्लिम पक्ष को बड़ी जीत मिल गई है।
शाम तक क्यों बदल गया नजरिया?
जैसे-जैसे वकीलों और संगठनों ने 128 पन्नों का पूरा फैसला पढ़ा, कई कमियां सामने आईं।
- एएसआई सर्वेक्षण का मुद्दा
अदालत ने एएसआई द्वारा वक्फ संपत्तियों का सर्वे कराने पर रोक नहीं लगाई। मुस्लिम संगठनों को आशंका है कि इससे आगे चलकर कई संपत्तियों को गैर-वक्फ घोषित किया जा सकता है। - लिमिटेशन एक्ट का लागू होना
पहले वक्फ संपत्तियों पर लिमिटेशन एक्ट लागू नहीं होता था, यानी अवैध कब्जा लंबे समय तक रहने के बावजूद उसे चुनौती दी जा सकती थी। फैसले के बाद यह सुरक्षा कमज़ोर हो गई है। - कलेक्टर की शक्तियाँ
अदालत ने कलेक्टर की कुछ शक्तियों पर रोक तो लगाई, लेकिन सर्वेक्षण का अधिकार उसके पास बरकरार रखा। यह समुदाय के लिए चिंता का कारण है। - गैर-मुस्लिम अधिकारियों की नियुक्ति
फैसले में कहा गया कि जहाँ संभव हो, सीईओ या अन्य पदों पर मुस्लिम की नियुक्ति हो, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं किया गया। धार्मिक संस्थाओं में यह प्रावधान समुदाय को असहज कर रहा है।
आगे क्या?
मुस्लिम पक्ष अब इसे आधी जीत और आधी हार मान रहा है। उनका कहना है कि अदालत ने कुछ प्रावधानों पर राहत दी है, लेकिन कई ऐसे बिंदु हैं जिनसे वक्फ संपत्तियाँ असुरक्षित हो सकती हैं।
कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल अंतरिम आदेश है। अंतिम सुनवाई में तस्वीर और साफ होगी।
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का सोमवार का फैसला मुस्लिम समाज के लिए दोहरी तस्वीर लेकर आया। सुबह उम्मीद और खुशी रही, लेकिन शाम तक वास्तविकता सामने आने पर निराशा बढ़ गई। अब सबकी निगाहें आगे की सुनवाई पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि वक्फ संपत्तियों और समुदाय की धार्मिक आज़ादी को कितनी सुरक्षा मिल पाएगी।
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