Hindi News: वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, तीन प्रावधानों पर रोक

By Vinay | Updated: September 15, 2025 • 11:19 AM

नई दिल्ली: वक्फ (Waqf) अधिनियम, 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई औचित्य नहीं है, लेकिन कुछ विवादित प्रावधानों पर अंतरिम रोक ज़रूरी है। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने यह आदेश जारी किया

अदालत की टिप्पणी

सीजेआई गवई ने कहा कि सामान्य स्थिति में किसी कानून की संवैधानिक वैधता मानकर चला जाता है और उस पर रोक केवल अत्यंत दुर्लभ परिस्थितियों में ही लगाई जाती है। अदालत ने माना कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए सभी मुद्दे गंभीर हैं, परंतु हर धारा पर रोक लगाना उचित नहीं है। इसलिए केवल तीन प्रावधानों को फिलहाल स्थगित किया गया है।

किन धाराओं पर लगी रोक?

  1. अधिसूचना (Notification) से संबंधित प्रावधान – अदालत ने कहा कि वक्फ संपत्ति से जुड़े विवादित अधिसूचना प्रावधान पर रोक रहेगी।
  2. कलेक्टर की शक्तियां – संशोधन अधिनियम के तहत कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार दिया गया था कि कोई संपत्ति सरकारी है या वक्फ की। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक मानते हुए अंतरिम रूप से स्थगित किया।
  3. गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति – वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की बाध्यता पर भी रोक लगाई गई है। अदालत ने साफ किया कि जब तक अंतिम फैसला नहीं हो जाता, किसी भी राज्य वक्फ बोर्ड में तीन से अधिक और केंद्रीय परिषद में चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।

पाँच साल वाली शर्त पर अदालत का रुख

संशोधन अधिनियम में यह भी जोड़ा गया था कि वक्फ बनाने वाला व्यक्ति कम से कम पाँच साल से इस्लाम का अनुयायी होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा को पूरी तरह रद्द नहीं किया, बल्कि कहा कि जब तक स्पष्ट नियम नहीं बनते, यह प्रावधान लागू नहीं किया जाएगा।

अब तक की सुनवाई

यह मामला तीन दिनों तक लगातार सुप्रीम कोर्ट में सुना गया। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा, जबकि याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कई संवैधानिक सवाल उठाए। इसके बाद अदालत ने 15 सितंबर को आदेश सुरक्षित रखकर आज यह फैसला सुनाया।

संसद में पारित होने की प्रक्रिया

केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद 5 अप्रैल को अधिसूचित किया था। लोकसभा में इसे 288 सांसदों के समर्थन और 232 के विरोध में पास किया गया, जबकि राज्यसभा में 128 वोट पक्ष में और 95 विपक्ष में पड़े थे। असर डाल सकता है और आने वाले समय में इसके राजनीतिक परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं।

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