नेपाल (Nepal) की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ आया है। 12 सितंबर 2025 को पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की (Sushila Karki) ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। जेन-जी प्रदर्शनों के बाद केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद यह नियुक्ति हुई, जिसमें भ्रष्टाचार और आर्थिक असमानता के खिलाफ 51 मौतें और 1300 से ज्यादा घायल हुए। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल की सलाह पर कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपा गया।
लेकिन उनकी नियुक्ति के साथ ही एक पुराना विवाद फिर सुर्खियों में आ गया—उनके पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी का 1973 का प्लेन हाईजैक कांड, जिसमें 30 लाख रुपये का खेल था।सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को बिराटनगर के शंकरपुर में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी, उन्होंने त्रिभुवन विश्वविद्यालय से स्नातक किया और 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में एमए। BHU में ही उनकी मुलाकात नेपाली कांग्रेस के युवा नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई, जो बाद में उनके जीवनसाथी बने।
कार्की ने 2008 में सीनियर एडवोकेट बनकर न्यायपालिका में कदम रखा। 2016 में वे नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं, जहां उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े फैसले दिए। एंटी-करप्शन ब्यूरो के चीफ लोकमान सिंह कार्की को पद से हटाया और कई मंत्रियों को जेल भेजा। लेकिन 2017 में कार्यपालिका में हस्तक्षेप के आरोप में महाभियोग का सामना करना पड़ा, जिससे वे निलंबित हुईं। फिर भी, उनकी स्वतंत्रता और ईमानदारी ने जेन-जी को प्रभावित किया।
अब बात उनके पति के विवादास्पद अतीत की। 1973 में नेपाल का पहला प्लेन हाईजैक सुबेदी से जुड़ा था। 10 जून को रॉयल नेपाल एयरलाइंस का 19-सीटर विमान बिराटनगर से काठमांडू जा रहा था। इसमें 15-19 यात्री थे, जिनमें बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा और उनके पति सांसद सीपी लोहानी भी। विमान में नेपाल राष्ट्र बैंक के लिए 30 लाख रुपये (तब करीब 4 लाख डॉलर) की नकदी थी।
सुबेदी, बसंत भट्टाराई और नागेंद्र धुंगेल—तीनों नेपाली कांग्रेस के युवा क्रांतिकारी—ने हथियारों से पायलट को धमकाया और विमान को भारत के बिहार के फोरबिसगंज में जबरन उतार दिया। वहां इंतजार कर रहे साजिशकर्ताओं ने तीन बक्से नकदी लूट लिए और कार से दार्जिलिंग ले गए। यह लूट राजा महेंद्र की पंचायत व्यवस्था के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह के लिए थी, जिसकी मास्टरमाइंड गिरिजा प्रसाद कोइराला (बाद में चार बार पीएम) थे। सुबेदी जेल से रिहा होकर इसमें शामिल हुए थे।
हाईजैकर्स मुंबई भागे, लेकिन भारतीय पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। दो साल जेल काटी, फिर 1975 के इमरजेंसी में रिहा हुए। 2018 में सुबेदी ने अपनी किताब ‘बिमान विद्रोह’ में इस घटना का वर्णन किया। माला सिन्हा ने बाद में कहा कि यात्रियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन यह घटना नेपाल की राजनीति और बॉलीवुड को जोड़ने वाली अनोखी कहानी बनी।
कार्की ने पति के अतीत के बावजूद अपनी पहचान बनाई। वे खुद को ‘भारत की दोस्त’ बताती हैं, BHU को अपना दूसरा घर मानती हैं। जेन-जी प्रदर्शनकारियों के एक गुट ने उनका नाम चुना, लेकिन दूसरे ने ‘भारत समर्थक’ बताकर विरोध किया। काठमांडू मेयर बालेन शाह ने समर्थन दिया। अंतरिम पीएम के रूप में कार्की को नई सरकार गठन, चुनाव और स्थिरता लानी है। यह नियुक्ति नेपाल के भविष्य के लिए उम्मीद जगाती है, लेकिन पुराने घाव फिर खुल गए हैं। क्या कार्की इतिहास को दोहराएंगी या नया अध्याय लिखेंगी? देखना बाकी है।
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